पढ़ी-लिखी महिला पति की कमाई पर ही नहीं रह सकती आश्रित: कोर्ट

Edited By ,Updated: 26 Mar, 2017 03:43 PM

a woman can not stay on husband earnings court

दिल्ली की एक अदालत ने घरेलू हिंसा के एक मामले में महिला के मासिक अंतरिम गुजारा भत्ते में इजाफा करने से इनकार कर दिया। जज ने कहा कि महिला पति से कही अधिक पढ़ी लिखी है

नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने घरेलू हिंसा के एक मामले में महिला के मासिक अंतरिम गुजारा भत्ते में इजाफा करने से इनकार कर दिया। जज ने कहा कि महिला पति से कही अधिक पढ़ी लिखी है तो वो ये अपेक्षा नहीं कर सकती कि वो घर में बेकार बैठी, पति की कमाई पर आश्रित रही। महिला की मांग थी कि उसे मिलने वाले 5,500 रुपए के मासिक अंतरिम भत्ते में इजाफा कर 25,000 कर दिया जाए। इस याचिका को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आर के त्रिपाठी ने खारिज कर दिया। न्यायाधीश ने कहा कि याचिकाकर्ता अपने अलग हो चुके पति से कही अधिक शिक्षित है। महिला के पास एमए, बी.एड और एलएलबी जैसी डिग्रियां हैं, ऐसा नहीं लगता कि वह घर पर बेकार बैठी रहे और प्रतिवादी की ही कमायी पर आश्रित रहे।

क्या है मामला
वर्ष 2008 में महिला को हर महीने 5,000 रुपए बतौर गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया गया था। जिसमें 2015 में 10 प्रतिशत का इजाफा किया गया। महिला ने अपनी अर्जी में इसे बढ़ाकर 25,000 रुपए करने की मांग की थी। बहरहाल अदालत ने वर्ष 2015 के मजिस्‍ट्रेट अदालत के फैसले को कायम रखा और कहा कि अदालत समाज में प्रचलित व्यावहारिक वास्तविकताओं पर गौर करती है। अदालत ने कहा कि महिला ने गुजारा भत्ते में वृद्धि की मांग का न तो कारण बताया और न ही यह साबित किया कि उसके खर्च में वृद्धि कैसे हो गई।
 

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