Twitter पर कल ट्रेेंड में होंगे #चुप्पीतोड़ो’ और #आखिरक्यों, जानिए क्या है इस हैशटैग की वजह

Edited By Seema Sharma,Updated: 27 May, 2020 10:50 AM

aakhirkyu tomorrow will be in the trend on twitter

ट्विटर पर आपको गुरुवार को #चुप्पीतोड़ो’ और #आखिरक्यों शब्द ट्रेंड करते नजर आएंगे और एक साथ सैंकड़ों ट्वीट पर शेयर किए जाएंगे। ट्विटर पर इन हैशटेगों के ट्रेडिंग की क्या वजह है घरेलू हिंसा। जी हां देश में देश में कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन में घरेलू...

नेशनल डेस्क: ट्विटर पर आपको गुरुवार को #चुप्पीतोड़ो’ और #आखिरक्यों शब्द ट्रेंड करते नजर आएंगे और एक साथ सैंकड़ों ट्वीट पर शेयर किए जाएंगे। ट्विटर पर इन हैशटेगों के ट्रेडिंग की क्या वजह है घरेलू हिंसा। जी हां देश में देश में कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन में घरेलू हिंसा की घटनाओं में बेतहाशा बढ़ोतरी को देखते हुए ट्विटर पर गुरुवार से एक अभियान शुरू किया जा रहा है। दस प्रमुख संगठन मैराथन की तर्ज पर ‘ट्वीटएथोन’ शुरू करेंगे जो ‘हैशटैग चुप्पी तोड़ो’ और ‘आखिर क्यों ?’ के रूप में होगा। ये संगठन कल दिन में साढ़े तीन बजे एक साथ सैकड़ों ट्वीट कर यह सवाल उठाएंगे कि लॉकडाउन में महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा क्यों बढ़ रही है।

 

‘लव मैटर्स इंडिया’ नामक संगठन की पहल पर शुरू हो रहे इस अभियान का मकसद घरेलू हिंसा में बढ़ोतरी के खिलाफ जन जागरण शुरू करना है। लव मैटर्स इंडिया की प्रमुख वीथिका यादव ने बताया कि 10 से अधिक संगठन इस अभियान में हिस्सा ले रहे जिनमें ‘पापुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया’, ‘ इंटरनेशनल रिसर्च सेन्टर ऑन वीमेन’, ‘आई’ ‘ब्रेकथ्रू’, ‘शक्ति शालिनी’, ‘हैया’, ‘सी आर ई आए’ जैसे संगठन ‘ट्वीटएथोन’ शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय महिला आयोग के आंकड़े बताते है कि लॉकडाउन के एक महीने में घरेलू हिंसा के मामलों में दो गुना वृद्धि हुई है। महिला आयोग ने 23 मार्च से 16 अप्रैल तक घरेलू हिंसा के 587 मामले दर्ज किए जबकि 27 फरवरी से 22 मॉर्च तक 396 मामले दर्ज किए गए।

 

महिला आयोग ने कहा कि ये आंकड़े चिंताजनक है। घर हमारे लिए सबसे सुरक्षित स्थान होता है लेकिन लाखों लोगों के साथ स्थिति अलग है। आप उस हालात की कल्पना नहीं कर सकते जब एक आदमी मजबूरन घर मे रह रहा हो और उस घर में हिंसा, गाली गलौज का माहौल हो और वह बाहर भी नहीं जा सकता हो। उसकी हताशा को समझिए। यह घरेलू हिंसा केवल भारत मे ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में बढ़ी है।” उन्होंने कहा कि हमने संगठनों से ही नहीं बल्कि लोगों से भी अपील की है कि वे ट्वीट कर अपने विचार व्यक्त करें। इस सवाल को उठाये और इस हिंसा के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद करें। अपनी हिंसा की कहानियों को अपने अनुभवों को लिखें।

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