AAP ने खुद को दिया धोखा और पद भी खोया

Edited By Anil dev,Updated: 28 Apr, 2018 01:49 PM

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उत्तरी नगर निगम में आम आदमी पार्टी के पार्षद ही अपनी पार्टी के साथ नहीं हैं। उत्तरी नगर निगम में 21 पार्षद होने के बावजूद स्थायी समिति सदस्य के चुनाव में नेता विपक्ष राकेश कुमार को सिर्फ 19 वोट ही मिले। 2 वोट कम मिलने के कारण राकेश कुमार को स्थायी...

नई दिल्ली (प्रगनेश सिंह): उत्तरी नगर निगम में आम आदमी पार्टी के पार्षद ही अपनी पार्टी के साथ नहीं हैं। उत्तरी नगर निगम में 21 पार्षद होने के बावजूद स्थायी समिति सदस्य के चुनाव में नेता विपक्ष राकेश कुमार को सिर्फ 19 वोट ही मिले। 2 वोट कम मिलने के कारण राकेश कुमार को स्थायी समिति सदस्य के चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा। आपसी अनबन के कारण इसकी बाजी कांग्रेस के पार्षद मुकेश गोयल मार गए। बता दें कि स्थायी समिति सदस्य के पद के लिए 18 अप्रैल को भाजपा से नीशा मान, वीना विरमानी और मनीष चौधरी एवं आम आदमी पार्टी से राकेश कुमार व कांग्रेस की तरफ से मुकेश गोयल ने नामांकन पत्र दाखिल किया था। हालांकि चुनाव शुरू होने से पहले ही भाजपा पार्षद मनीष चौधरी ने नामांकन पत्र वापस ले लिया। इसकी वजय से स्थाई समिति सदस्य के 3 पद के लिए चार लोगों के बीच चुनाव होना था। बता दें की स्थायी समिति सदस्य बनने के लिए एक पार्षद को 27 वोट चाहिए थे। 

भाजपा की बहुमत होने के कारण उनके दोनों पार्षद नीशा मान और वीना विरमानी का स्थायी समिति सदस्य का चुनाव जीतना तो तय था। लड़ाई सिर्फ आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच होनी थी। इस लड़ाई में कांग्रेस के पार्षद मुकेश गोयल 20 वोट और एक सरप्लस वोट की मदद से बाजी मार गए। वह 2 वोट से राकेश कुमार को हराकर विजयी घोषित हुए। खास बात है कि राकेश कुमार को हार का सामना अपनो के कारण ही करनी पड़ी है। क्योंकि 21 पार्षद होने के बावजूद उन्हें 19 वोट मिले और यही 2 वोट उनके हार के कारण बने।

अपनो ने दिया साथ : मुकेश गोयल
स्थायी समिति सदस्य का चुनाव जीतने के बाद पत्रकार से बातचीत के दौरान मुकेश गोयल ने कहा कि उनके अपनो ने साथ दिया है, जिसके कारण वह विजयी हुए हैं। भाजपा और आम आदमी पार्टी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि दोनों पार्टी एकजुटकर हराने का प्रयास कर रही थी, लेकिन अंतत: उनके मनसूबे कामयाब नहीं हो सके। कहा कि पार्षदों ने जो विश्वास जताया है, उसपर वह खरे उतरेंगे। जनता के हित में जो भी फैसला होगा, वह उसका समर्थन करेंगे।

महापौर का पद देते ही सदन से गायब हुई प्रीति अग्रवाल
उत्तरी नगर निगम की महापौर प्रीति अग्रवाल ने शुक्रवार को जैसे ही नवनिर्वाचित आदेश कुमार गुप्ता को पदभार सौंपा वैसे ही वह सदन से बाहर चली गई। इसके बाद वह काफी देर बाद स्थायी समिति सदस्य के चुनाव में एक बार फिर आईं, लेकिन इस दौरान भी वह सदन में रुकी नहीं। वोट देने के तुरंत बाद वह बाहर चली गईं और लौटकर नहीं आईं। प्रीति अग्रवाल का इस तरह सदन से बाहर चले जाने के बाद कई सवाल खड़े होने लगे। आखिर ऐसी क्या वजह थी कि वह सदन में बैठी नहीं। क्या वह पार्टी कार्यालय द्वारा लिए गए फैसले से संतुष्ट नहीं हैं।  

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