Edited By Pardeep,Updated: 25 Jul, 2019 05:22 AM
कांग्रेस को हराकर दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई आम आदमी पार्टी को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया कि वह फिर से दिल्ली में आगामी चुनावों में भाजपा की अपेक्षा अधिक बेहतर प्रदर्शन कर सकती है। भाजपा को भी यह चिंता है कि शीला दीक्षित के देहांत के बाद यदि...
नई दिल्ली: कांग्रेस को हराकर दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई आम आदमी पार्टी को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया कि वह फिर से दिल्ली में आगामी चुनावों में भाजपा की अपेक्षा अधिक बेहतर प्रदर्शन कर सकती है।
भाजपा को भी यह चिंता है कि शीला दीक्षित के देहांत के बाद यदि कांग्रेस जल्द ही दुबारा से दिल्ली में ट्रैक पर नहीं आई तो फिर त्रिकोणीय संघर्ष के स्थान पर उसे आप से सीधे मुकाबले के लिए ही मैदान में उतरना होगा। हालांकि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी यह दावा करने से अब भी नहीं चूक रहे हैं कि भाजपा, चुनावों में आप को हराकर दिल्ली में राजनीतिक वनवास समाप्त करेगी। जानकारों का कहना है कि पूर्व सीएम व दिल्ली कांग्रेस प्रदेश इकाई की अध्यक्षा शीला दीक्षित के निधन से पासा पलट गया है। शीला के रहते बीजेपी नेताओं को विधानसभा चुनावों में जिस त्रिकोणीय मुकाबले की संभावनाएं बनती दिख रही थी, लेकिन अब शीला के निधन के बाद कमजोर नजर आ रही हैं।
वोटबैंक पर असर, भुगतना पड़ सकता है खामियाजा
माना जाता है कि 2015 के बाद एमसीडी चुनावों और उसके बाद लोकसभा चुनावों में यह स्पष्ट दिखा है कि दिल्ली में कांग्रेस जितनी मजबूत होगी, भाजपा को उसका अधिक लाभ मिलेगा। इस मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता का कहना है कि कांग्रेस का वोट बैंक ही खिसककर आप के पाले में गया है। यदि कांग्रेस मजबूत हुई तो फिर निश्चित रूप से आप को खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि दोनों के बीच वोट बंटेगा तो उसका फायदा भाजपा को मिल सकता है क्योंकि भाजपा का अपना कैडर वोट प्रतिशत लगभग बराबर ही रहा है। केवल फ्लोटिंग वोटरों व युवा वोटरों के जरिए भाजपा को मजबूत जीत मिली है। वहीं दूसरी तरफ आप संयोजक व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लगातार झुग्गी-बस्ती व अन्य इलाकों में पार्टी विधायकों व कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर वोटरों को साधने में जुटे हैं।
चुनावी रणनीति में बदलाव के आसार
भाजपा के नेता भी मान रहे हैं कि आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस कितना मजबूती से चुनाव लड़ेगी, यह दिल्ली में आप और भाजपा की हार-जीत का भविष्य तय करेगा। भाजपा नेताओं का मानना है कि शीला के निधन के बाद अब चुनावी रणनीति में भी कुछ बड़े बदलाव पर विचार करना पड़ सकता है। लेकिन सदस्यता अभियान में इस बार पार्टी जितनी मजबूती से जुटी है और उसमें न केवल प्रदेश स्तरीय बल्कि राष्ट्रीय स्तरीय नेता भी सदस्यता विस्तार कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं, उसे देखते हुए इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि पार्टी किसी भी स्तर पर कोई भी कसर नहीं छोडऩा चाहती है।