दुनिया को अलविदा कहने से पहले कलाम की जुबान से निकले थे ये आखिरी शब्द...

Edited By Anil dev,Updated: 27 Jul, 2019 11:42 AM

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भारत के पूर्व राष्ट्रपति और भारत रत्न स्व. डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की आज पुण्यतिथि है। इस मौके पर पूरा देश आज कलाम को याद कर रहा है। देश के मिसाइल मैन को इस दुनिया से अलविदा कहे चार साल हो गए हैं।

नई दिल्लीः भारत के पूर्व राष्ट्रपति और भारत रत्न स्व. डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की आज पुण्यतिथि है। इस मौके पर पूरा देश आज कलाम को याद कर रहा है। देश के मिसाइल मैन को इस दुनिया से अलविदा कहे चार साल हो गए हैं। कलाम के तौर पर देश ने एक हीरा गवांया है जिसकी कमी कोई पूरी नहीं कर सकता।अपने जीवन की आखिरी सांस लेते हुए, एक आदर्श नागरिक के लिए सवाल छोड़ दिया है। सवाल ये कि, इस दुनिया को इस धरती को कैसे जीने लायक बनाया जाए? एपीजे अब्दुल कलाम को अंतिम समय में सहारा देने वाले सृजनपाल सिंह ने बताया कि अपने अंतिम क्षणों में एपीजे अब्दुल कलाम ने क्या कहा।

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सृजनपाल सिंह के मुताबिक 27 जुलाई को ‘दोपहर तीन बजे जब हम दिल्ली से गुवाहाटी पहुंचे। वहां से कार से शिलांग पहुँचने में ढाई घंटे लगे।आमतौर पर सफर के दौरान कलाम कार में सो जाया करते थे। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ वे बातें करते रहे. कार में उन्होने संसद नहीं जाने को लेकर कहा, डेडलॉक को कैसे खत्म किया जाय फिर बोले IIM में छात्रों से सवाल पूछूंगा. शिलांग में खाना खाकर हम आईआईएम पहुंचे। वे लेक्चर देने स्टेज पर गए. तब मैं उनके पीछे ही खड़ा था. उन्होंने मुझसे पूछा- ऑल फिट? मैंने कहा- जी साहब. दो शब्द ही बोले होंगे कि वो गिर पड़े। मैंने ही उन्हें बांहों में उठाया। उन्हें हॉस्पिटल ले गए. पर बचा नहीं सके। उन्होंने आखिरी लाइन कही थी कि धरती को जीने लायक कैसे बनाया जाए।

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सृजनपाल सिंह ने लिखा, “ कलाम साहब हमेशा कहते थे कि मैं टीचर के रूप में ही याद किया जाना चाहता हूं। और पढ़ाते-पढ़ाते ही दुनिया से अलविदा ले लिया.” और नहीं दे पाए IIM स्टूडेंट को ये सरप्राइज असाइनमेंट। उन्होंने कहा, ‘‘वह चाहते थे कि ग्रामीण भारत विकसित हो और वह युवा सशक्तीकरण के बारे में भी बात करते थे। अब उनके विचार और भी ज्यादा जीवंत हैं क्योंकि जो व्यक्ति इनके साथ अग्रिम मोर्चे से नेतृत्व कर रहा था, अब वह हमारे बीच नहीं है। अपने जीवन में ‘मिसाइल मैन’ को एकमात्र अफसोस इस बात का रहा कि वह अपने माता-पिता को उनके जीवनकाल के दौरान 24 घंटे बिजली जैसे सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा पाएं।

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