Edited By vasudha,Updated: 15 Oct, 2019 11:33 AM
भारतीय-अमरीकी अभिजीत बनर्जी, उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो और अमरीका के अर्थशास्त्री माइकल क्रेमर को संयुक्त रूप से 2019 के लिए अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गई...
नेशनल डेस्क: भारतीय-अमरीकी अभिजीत बनर्जी, उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो और अमरीका के अर्थशास्त्री माइकल क्रेमर को संयुक्त रूप से 2019 के लिए अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गई। तीनों को वैश्विक स्तर पर गरीबी उन्मूलन क्षेत्र में किये गये शोध कार्यों के लिये यह पुरस्कार दिया जाएगा। अपनी प्रतिक्रिया में 58 वर्षीय बनर्जी ने कहा कि पुरस्कार के लिए चुना जाना काफी ‘सुखद’ अनुभव है।
वहीं समाजिक विज्ञान की प्रोफेसर रह चुकीं अभिजीत की मां निर्मला बनर्जी ने इसपर खुशी जताते हुए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि यह सरकार किसी की बात नहीं सुन रही और आगे भी नहीं सुनेगी। स्थिति बेहद चिंताजनक है। निर्मला ने कहा कि अभिजीत के लिए आज का दिन किसी आम दिन जैसा ही है। मैं अपनी बहू के लिए भी बहुत खुश हूं। वह अभी युवा हैं और यह उनके लिए बड़ी बात है। निर्मला बनर्जी ने अमत्र्य सेन के बारे में कहा कि हमारे परिवार के सेन के साथ पारिवारिक रिश्ते हैं। वह हमारे बेहद करीबी शख्स हैं। बनर्जी व डुफ्लो को एमआईटी की बधाई।
भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत बुरा प्रदर्शन कर रही है : अभिजीत
अभिजीत बनर्जी के अनुसार सरकार द्वारा तेजी से समस्या की पहचान करने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत बुरा (प्रदर्शन) कर रही है। उन्होंने कहा कि मेरे विचार से अर्थव्यवस्था बहुत खराब कर रही है। भारत में एक बहस चल रही है कि कौन सा आंकड़ा सही है और सरकार का खासतौर से यह मानना है कि वो सभी आंकड़े गलत हैं, जो असुविधाजनक हैं। लेकिन मुझे लगता है कि सरकार भी अब यह मानने लगी है कि कुछ समस्या है।
बनर्जी ने कहा कि अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से धीमी हो रही है। कितनी तेजी से, यह हमें नहीं पता है, आंकड़ों को लेकर विवाद हैं, लेकिन मुझे लगता है कि यह तेज है। उन्हें ठीक-ठीक नहीं पता है कि क्या करना चाहिए। उनके विचार में जब अर्थव्यवस्था ‘अनियंत्रित गिरावट’ की ओर जा रही है, तो ऐसे में आप मौद्रिक स्थिरता के बारे में इतनी ङ्क्षचता नहीं करते हैं और इसकी जगह मांग के बारे में थोड़ा अधिक ङ्क्षचता करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अब अर्थव्यवस्था में मांग एक बड़ी समस्या है।