भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी, उनकी पत्नी सहित 3 को अर्थशास्त्र का नोबेल

Edited By Seema Sharma,Updated: 15 Oct, 2019 11:17 AM

भारतीय अमेरिकी अभिजीत बनर्जी को वर्ष 2019 के लिए अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया गया है। उन्हें यह पुरस्कार फ्रांस की एस्थर डफ्लो और अमेरिका के माइकल क्रेमर के साथ संयुक्त रूप से दिया गया है। उन्हें यह पुरस्कार ‘वैश्विक स्तर पर गरीबी उन्मूलन के...

स्टॉकहोम: भारतीय-अमरीकी अभिजीत बनर्जी, उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो और अमरीका के अर्थशास्त्री माइकल क्रेमर को संयुक्त रूप से 2019 के लिए अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार देने की सोमवार को घोषणा की गई। नोबेल समिति ने सोमवार को जारी बयान में तीनों को वैश्विक स्तर पर गरीबी उन्मूलन क्षेत्र में किये गये शोध कार्यों के लिये 2019 का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की। नोबेल पुरस्कार के तहत 90 लाख क्रोनर (स्वीडन की मुद्रा) यानी 9,18,000 डॉलर का नकद पुरस्कार, एक स्वर्ण पदक और एक प्रशस्ति पत्र दिया जाता है। इस राशि को विजेताओं के बीच बराबर बांटा जाता है। बनर्जी और उनकी फ्रांसीसी-अमरीकी पत्नी डुफ्लो अमरीका स्थित प्रतिष्ठित मैसायुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में काम करते हैं। जबकि क्रेमर हार्वर्ड विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं। अपनी प्रतिक्रिया में 58 वर्षीय बनर्जी ने कहा कि पुरस्कार के लिए चुना जाना काफी ‘सुखद’ अनुभव है। उन्होंने कहा कि आपको अपने जीवन में इतना सौभाग्यशाली मौका बहुत कम मिलता है। अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की पूर्व सलाहकार डुफ्लो अर्थशास्त्र का नोबेल पाने वाली दूसरी महिला हैं। वहीं वह यह पुरस्कार पाने वाली सबसे कम उम्र (46) की अर्थशास्त्री भी है।

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जानिए, कौन है अभिजीत बनर्जी

  • अभिजीत का जन्म 21 फरवरी 1961 में कोलकाता में हुआ था। 
  • इनकी माता निर्मला बनर्जी कोलकाता के सेंटर फॉर स्टडीज इन सोशल साइंसेज में प्रोफेसर थीं। 
  • पिता दीपक बनर्जी प्रेसीडेंसी कॉलेज में इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर थे। 
  • अभिजीत की स्कूली शिक्षा कोलकाता के साउथ प्वाइंट स्कूल से हुई। 
  • उन्होंने स्नातक की डिग्री कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज से ली। 
  • कलकत्ता यूनिवर्सिटी से वर्ष 1981 में बीएससी करने के बाद 1983 में जेएनयू से एमए की पढ़ाई पूरी की। 
  • वर्ष 1988 में उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी पूरी की। 
  • उन्होंने राहुल गांधी के न्याय योजना की रूपरेखा तैयार की थी। इसकी पुष्टि खुद राहुल गांधी ने भी की है। 
  • अभिजीत ने अर्थशास्त्र पर कई किताबें लिखी हैं। इनकी पहली किताब 2005 में ‘वोलाटिलिटी एंड ग्रोथ’ लिखी थी। तब से आज तक अभिजीत बनर्जी ने कुल सात किताबें लिखी हैं, लेकिन इन्हें प्रसिद्धि मिली 2011 में आई इनकी किताब ‘पूअर इकोनॉमिक्स: ए रेडिकल रीथिंकिंग ऑफ द वे टू फाइट ग्लोबल पॉवटी’ से। 

 

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इस सप्ताह आएगी अभिजीत-डुफ्लो की पुस्तक
अभिजीत बनर्जी व एस्थर डुफ्लो की नई किताब इस सप्ताह बाजार में आएगी। इस किताब में वैश्विक अर्थव्यवस्था से संबंधित विषयों पर चर्चा की गई है। प्रकाशक ने बताया कि किताब का नाम ‘गुड इकोनॉमिक्स फॉर हार्ड टाइम्स-बेटर आंसर्स टू बिगेस्ट प्रॉब्लम्स’ 19 अक्तूबर को आएगी। पुस्तक रोजगार, अंतरराष्ट्रीय व्यापार और जलवायु परिवर्तन जैसे वर्तमान समय के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा करती है। यह किताब वर्तमान वैश्विक अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियों के समाधान तलाशने में मदद करती है। जैसे क्या प्रवासी, स्थानीय निवासियों की नौकरियां छीन रहे हैं? क्या अंतरराष्ट्रीय व्यापार से असमानता बढ़ती है और हम विकास और जलवायु परिवर्तन के बीच तालमेल कैसे बैठा सकते हैं?


लगा बधाइयों का तांता
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी तथा मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी समेत कई नेताओं ने भारतीय मूल के नागरिक अभिजीत बनर्जी को इस वर्ष अर्थशास्त्र के लिए नोबल पुरस्कार मिलने पर बधाई दी है और कहा है कि इससे देश गौरवान्वित महसूस कर रहा है।

‘‘हमें इस बात की हार्दिक प्रसन्नता है कि इस बार भारतीय मूल के नागरिक श्री बनर्जी को यह सम्मान मिला है।' -वेंकैया नायडू

 


‘‘साउथ प्वाइंट स्कूल एंड प्रेसीडेंसी कालेज कोलकाता के पूर्व छात्र अभिजीत बनर्जी को अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार मिलने पर हार्दिक बधाई। बंगालियों को देश पर गर्व है। हम आनंदित हैं।'' -ममता बनर्जी

 

‘‘ प्रत्येक भारतीय के लिए बड़ा दिन। जानेमाने अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी को नोबेल पुरस्कार मिलने पर हार्दिक बधाई। गरीबी उन्मूलन पर सबसे बड़ा प्रतिफल।'' - अरविंद केजरीवाल

 

‘‘अभिजीत को अर्थशास्त्र के लिए नोबेल मिलने पर बधाई। अभिजीत ने न्याय योजना की संकल्पना दी जिससे देश में गरीबी खत्म होती और अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती। इसकी जगह हमारे पास आज मोदीइकोनामी है जिसने अर्थव्यवस्था को खत्म कर दिया और गरीबी को बढाया है। '' -राहुल गांधी

 

‘‘कोलकाता के प्रजिडेंसी कालेज से दूसरी बार अर्थशासत्र के लिए यह सम्मान मिला है।'' -सीताराम येचुरी

 

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