मौका मिलते ही पहलवानी भी दिखाते हैं 'माननीय'

Edited By ,Updated: 29 Apr, 2016 02:45 PM

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लोकतंत्र में संसद एक मंदिर की तरह होती है। वहां चुने प्रतिनिधि देश के विकास के लिए योजनाएं बनाते हैं। वे अपने—अपने क्षेत्र की

लोकतंत्र में संसद एक मंदिर की तरह होती है। वहां चुने प्रतिनिधि देश के विकास के लिए योजनाएं बनाते हैं। वे अपने-अपने क्षेत्र की समस्याएं रखते हैं, लेकिन सांसद जब सारी मर्यादाएं तोड़ दें तो उसका क्या सम्मान रह जाएगा। जो लोग भारत की विधानसभाओं और संसद में माननीयों के बीच धक्का-मुक्की और गाली गलौच की घटनाओं से दुखी और परेशान रहते हें,उनके लिए राहत की खबर है। पूरे विश्व में भारत अकेला ऐसा राष्ट्र नहीं है जहां यह दृश्य देखने को मिलता हो। कई अन्य देशों में भी ऐसी घटनाएं होना आम बात है। ताजा खबर तुर्की की है। वहां 18 घंटे के मैराथन संसद सत्र के दौरान सत्ताधारी और विपक्ष के सांसदों ने एक-दूसरे पर जमकर लात-घूंसे बरसाए। संसद में पुलिस की शक्ति बढ़ाने संबंधी विवादित विधेयक पर बहस चल रही थी। और सब अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने लगे।

यह पहली बार नहीं हुआ। हफ्तेभर के अंदर होने वाली यह तीसरी घटना थी। इससे पहले हुई घटनाओं में कई जनप्रतिनिधि जख्मी हो गए थे। पुलिस बिल पर चल रही यह बहस हाथापाई और धक्कामुक्की के बाद तनावपूर्ण हालात में खत्म हुई। सत्ताधारी  पार्टी चाहती थी कि यह विधेयक हर हाल में पारित हो जाए,लेकिन विपक्षी दल इसका विरोध करता रहा। मैराथन बहस के दौरान कई सांसदों को प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा भी लेनी पड़ी। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि उनकी क्या हालत हो गई होगी।|

 
आंसू गैस के गोले
 
इसी कड़ी में बात करते हैं सर्बिया की। वहां जारी तनाव के कारण कोसोवो में राजनीतिक संकट गहरा रहा था। यहां के विपक्षी सांसद कुछ ज्यादा ही आक्रामक दिखे। उन्होंने संसद में आंसू गैस के गोले फेंके और मिर्च का स्प्रे किया। उनकी मांग थी कि सरकार सर्बिया और उसके पूर्व दक्षिण प्रांत यानी कोसोवो के बीच हुए समझौतों को खत्म करें। गौरतलब है कि कोसोवो संसद इतनी अशांत रहती है कि पिछले कुछ में होने वाली यह चौथी घटना थी। दिसंबर 2015 में ऐसा ही नजारा यूक्रेन की संसद से देखने को मिला। किसी बात पर उलझे माननीय सदस्यों में जमकर लात-घूंसे चले। प्रधानमंत्री आर्सने यात्सेनयुक पोडियम में अपनी सरकार की वार्षिक रिपोर्ट पेश कर रहे थे। तभी अचानक विपक्षी पार्टी के सांसद ओलेग बार्ना उन्हें फूलों का गुलदस्ता देने के लिए पोडियम तक आए। किसी को यह नागवार गुजरा और बार्ना को पीछे से पकड़कर उठा लिया। इतना ही नहीं, उसने प्रधानमंत्री को उठाकर पोडियम से बाहर खड़ा कर दिया, तभी सांसद ने उन्हें ऐसा करने से रोक लिया। सांसद बार्ना को रोकने की कोशिश में काफी हाथापाई भी हुई, जिसमें कई सांसद घायल हुए। |
 
सासंद  पहुंचाए  अस्पताल
 
यहां भारत का भी जिक्र कर लिया जाए अन्यथा बात अधूरी रह जाएगी। मामला था यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान लोकसभा में तेलंगाना बिल का। इसे लेकर जारी गतिरोध के बीच सदन में उस समय अजीबोगरीब स्थिति उत्पन्न हो गई जब लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार समेत कई सांसद अचानक खांसने और आंखें मीचने लगे। इसके तुरंत बाद वहाँ तीन एंबुलेंस बुलायी गईं फिर सांसदों को अस्पताल में भर्ती कराया गया।बताया जाता है कि संसद में अलग तेलंगाना राज्य के गठन को लेकर जैसे ही गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने बिल पेश किया, वहां जबरदस्त हंगामा शुरू हो गया। आंध्र प्रदेश के कुछ कांग्रेस सांसदों ने बिल की प्रति गृहमंत्री के हाथ से छीनने की कोशिश की। इसी दौरान विजयवाडा से कांग्रेस सांसद लगाडापति राजागोपाल ने अन्य सांसदों की ओर मिर्च पाउडर से भरा स्प्रे उडाना शुरू कर दिया।

बात यहीं समाप्त नहीं होती। तेलगूदेशम पार्टी के सांसद वेणुगोपाल रेड्डी ने माइक तोडकर खुद की पेट में घुसाने की कोशिश की। सदन में चाकू लहराने की भी बात सामने आई। तेलंगाना विरोधी कुछ अन्य सांसदों ने शीशे तोड दिए और काले कागज लहराए। इस दौरान तेलंगाना समर्थक और विरोधी सांसदों के बीच हाथापाई भी हुई। मछलीपत्तनम से टीडीपी सांसद के नारायण राव ने सीने में दर्द की शिकायत की और बेहोश होकर गिर पड़े।
 
जमकर चले लात-घूंसे
 
ऐसी ही एक घटना उक्रेन मे भी हुई। जून 2002 में जब उक्रेन की गठन को तीन महीने ही हुए थे कि कामकाज के तरीके को लेकर दो सांसद एक-दूसरे पर झपट पड़े। इससे पहले कि वहां मौजूद अन्य सांसद कुछ समझ पाते,दोनों में जमकर लात-घूंसे चले। दोनों को गुत्थम गुत्था होते देखकर बाकी सांसदों ने किसी तरह उन्हें छुड़वाया। दरअसल, उक्रेन में किसी दल को बहुमत नहीं ​मिल पाने के कारण सदस्यों में कामकाज को लेकर आपसी सहमति नहीं बन पा रही थी। 

जापानी भी कम नहीं


सितंबर 2015 में जापान की संसद के ऊपरी सदन की समिति ने देश की सुरक्षा नीति से जुड़े एक बिल को मंजूरी दे दी। इसके मुताबिक, जापान दूसरे विश्वयुद्ध के बाद पहली बार अब सेना को देश से बाहर लड़ाई के लिए भेज सकेगा। हालांकि, समिति की बैठक में इस बिल को विपक्षी सांसदों ने जबरन रोकने की कोशिश की। इसे लेकर सांसदों में धक्कामुक्की और हाथापाई भी हुई। इसके बावजूद बिल पास हो गया। जानकार मानते हैं कि इस तरह की स्थिति जापान की पार्लियामेंट में कम ही नजर आती है। सूट-बूट पहने समिति के मेंबर्स एक-दूसरे को धकियाते, खींचते और शोर मचाते नजर आए। इस दौरान पीएम शिंजो आबे भी वहीं मौजूद थे।

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