Acid अटैक की शिकार शबीना को मिली नई जिंदगी, अल्लाह का किया शुक्र अदा

Edited By ,Updated: 16 Dec, 2016 03:01 PM

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बारह साल पहले अपने मंगेतर के ही हाथों तेजाब के हमले के बाद चेहरे और जिस्म पर जले के निशान और के दिल में अरमानों के जख्म झेल रही शबीना का हाथ उसके मोहल्ले के ही शमशाद ने थाम लिया जिससे शबीना की जिंदगी में खुशी की एक नई सुबह आई है।

कानपुर: बारह साल पहले अपने मंगेतर के ही हाथों तेजाब के हमले के बाद चेहरे और जिस्म पर जले के निशान और के दिल में अरमानों के जख्म झेल रही शबीना का हाथ उसके मोहल्ले के ही शमशाद ने थाम लिया जिससे शबीना की जिंदगी में खुशी की एक नई सुबह आई है।  शबीना के लिये इंसाफ की लड़ाई तो लड़ी ही साथ ही साथ उसका इलाज कराने वाली स्वंयसेवी संस्था ‘सखी’ ने उसकी शादी करवाई।  


‘सखी’ की अध्यक्ष नीलम चतुर्वेदी ने बताया कि 2004 में जब शबीना पर तेजाब फेंका गया तो पुलिस उसकी एफआईआर लिखने में आनाकानी कर रही थी बाद में महिला संगठनों के दबाव के बाद घटना के चार दिन बाद एफआईआर लिखी गई और वसीम को गिरफ्तार किया गया। कानपुर की स्थानीय अदालत ने 2007 में वसीम को 14 साल की कैद की सजा सुनाई।   चमनगंगज में रहने वाली 28 साल की शबीना के पिता प्राइवेट दुकान पर नौकरी करते है और उसका परिवार काफी बड़ा है । 12 साल पहले वर्ष 2004 में उस की शादी मोहल्ले के वसीम से लगी थी, वसीम जल्दी शादी करना चाहता था लेकिन शबीना के घर वालो ने थोड़ा इंतजार करने को कहा जिससे नाराज होकर वसीम ने शबीना पर तेजाब से हमला कर दिया।  
 

नीलम ने बताया एसिड अटैक से शबीना के चेहरे और जिस्म पर बहुत गहरे घाव थे । घर वालों की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नही थी कि वह उसका बेहतर इलाज करवा सकें। एेसे में ‘सखी’ आगे आई। उसने कई लोगों से मदद मांगी। उसके आठ आपरेशन हुए।  

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