बंधक बनाकर कहते थे कबूल लो इस्लाम नहीं तो सिर काटकर भारत भेज देंगे, वतन लौटे सिख ने सुनाई आपबीति

Edited By Anil dev,Updated: 27 Jul, 2020 05:09 PM

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अफगानिस्तान में बंधक बनाए जाने के दौरान यातना के शिकार हुए निदान सिंह सचदेवा भारत लौटने के बाद राहत और सुकून में हैं तथा वहां सामना किए जुल्मों की यादों से उबरने की कोशिश कर रहे हैं । उनका कहना है कि अब मैं अपने वतन लौट आया हूं और यहां सुरक्षित हूं।

नई दिल्ली: अफगानिस्तान में बंधक बनाए जाने के दौरान यातना के शिकार हुए निदान सिंह सचदेवा भारत लौटने के बाद राहत और सुकून में हैं तथा वहां सामना किए जुल्मों की यादों से उबरने की कोशिश कर रहे हैं । उनका कहना है कि अब मैं अपने वतन लौट आया हूं और यहां सुरक्षित हूं। अफगानिस्तान में सिख समुदाय के 55 वर्षीय नेता सचदेवा को वहां अल्पसंख्यक समुदाय -हिंदू और सिखों के 10 सदस्यों के साथ पक्तिया प्रांत से अगवा कर लिया गया था और बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया। भारत द्वारा वीजा और आने की सुविधा प्रदान करने के बाद वे रविवार को यहां आए । अफगानिस्तान में 18 जुलाई को रिहा किए गए सचदेवा ने कहा कि अपहरण के दौरान कई बार उन्हें जान से मारने की धमकी दी जाती थी और उन्होंने जिंदा लौटने की आस छोड़ दी थी। उन्होंने कहा, मेरे साथ मारपीट की गई और धमकी दी जाती थी। मुझसे कहते थे कि हम तुम्हारा सिर काटकर भारत भेज देंगे। 

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सचदेवा ने कहा कि बंधक बनाए जाने के दौरान यातना को याद कर वह अब भी सिहर उठते हैं। उन्होंने कहा, हमने वहां पर बहुत सारी हिंसा का सामना किया। अब भी दहशत महसूस करता हूं। सचदेवा ने कहा, लेकिन, अब भारत आ गया हूं। अब सारे दर्द और बंधक बनाए रखने के दौरान की सारी यातना को भूल जाना चाहता हूं। भारत को स्वर्ग बताते हुए उन्होंने यहां आने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए भारत सरकार का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा, उस देश(अफगानिस्तान) में अब भी कई सिख भाई और बहनें हैं। मैं सरकार से उन्हें भी लाने का अनुरोध करता हूं। आने वालों में शामिल प्यारा सिंह ने कहा कि भारत उनका घर है और वहां फंसे हुए दूसरे सिख भी आना चाहते हैं। उन्होंने कहा, भारत हमारा घर है और मैं सरकार से सभी सिखों को लाने और उन्हें नागरिकता देने का अनुरोध करता हूं। वे सभी भारत आना चाहते हैं। हम यहां सुरक्षित महसूस करते हैं । 

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गुरजीत सिंह (30) ने कहा कि वह भारत में नयी जिंदगी शुरू करने को लेकर आशान्वित हैं । उन्होंने कहा, हमले में मैंने अपने परिवार के सदस्यों को खो दिया । यहां आकर खुश हूं और चाहता हूं कि दूसरे लोग भी भारत आएं । अफगानिस्तान की स्थिति अनुकूल नहीं है लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि वहां हर कोई बुरा है। वहां ऐसे लोग भी हैं जो हमसे हमदर्दी रखते हैं। उन्होंने कहा, लेकिन ऐसे लोग भी हैं जो हमें काफिर मानते हैं और हमें नीचा दिखाते हैं । विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने पिछले सप्ताह कहा था कि अफगानिस्तान में हिंदू और सिख समुदाय की तरफ से भारत को अनुरोध मिला था । उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा था, वे भारत आना चाहते हैं। वे यहां बसना चाहते हैं । कोविड-19 की स्थिति के बावजूद हम उनके अनुरोध को आगे बढ़ाने पर काम कर रहे हैं। श्रीवास्तव ने कहा था कि काबुल में भारतीय दूतावास उन्हें यहां आने के लिए वीजा प्रदान कर रहा है और यहां पहुंचने पर उनके अनुरोध पर विचार किया जाएगा और मौजूदा नीति के तहत कदम उठाए जाएंगे । 

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