शिक्षा नीति में बदलाव होने जा रहा 30 साल के बाद

Edited By Riya bawa,Updated: 06 Mar, 2020 01:36 PM

after 30 years government decide to reform education

मानव संसाधन मंत्रालय ने भारत की शिक्षा नीति को अंतिम रूप देने की तैयारी शुरु कर दी है। सरकार 2020 के शैक्षिण सत्र में देश को नई शिक्षा नीति देना चाहती है। नई शिक्षा नीति के अंर्तगत भारत सरकार द्वारा शिक्षा के अधिकार का दायरा बढ़ाने पर भी विचार किया...

मानव संसाधन मंत्रालय ने भारत की शिक्षा नीति को अंतिम रूप देने की तैयारी शुरु कर दी है। सरकार 2020 के शैक्षिण सत्र में देश को नई शिक्षा नीति देना चाहती है। नई शिक्षा नीति के अंर्तगत भारत सरकार द्वारा शिक्षा के अधिकार का दायरा बढ़ाने पर भी विचार किया जा सकता है। फिलहाल आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई शिक्षा के अधिकार के दायरे में आती है। नई शिक्षा नीति में भारत सरकार इस दायरे को बढ़ाकर 12वीं कक्षा तक कर सकती है।
नई शिक्षा नीति जारी करने से पहले मानव संसाधन मंत्रालय में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस बैठक में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक व संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया। अब तक सिर्फ प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्तर की शिक्षा,जो 6 से 14 वर्ष तक है वही इस कानून के दायरे में आती है। नई शिक्षा नीति में इस कानून का दायरा 12वीं कक्षा तक लागू करने की सिफारिश की गई है। गौरतलब हो कि पिछली शिक्षा नीति तीन दशक पहले आई थी।

 

चार चरणों में किया जाएेगा बंटवारा 

पहला चरण
नर्सरी से 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई को 5 प्लस 3 प्लस 3 प्लस 4 के फॉर्मूले के तहत चार चरणों में बांटने की बात नई शिक्षा नीति में कही गई है। पांच साल का पहला चरण 3 से 8 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए है, इसे फाउंडेशन स्टेज कहा गया है।

 

दूसरा चरण

दूसरा चरण कक्षा 3 से 5 तक 8 से 11 वर्ष के बच्चों के लिए है। तीसरा चरण कक्षा 6 से 8 तक 11 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए है, इसे मिडिल स्टेज कहा गया है। चौथा और अंतिम चरण कक्षा 9 से 12 तक 14 से 18 वर्ष के बच्चों के लिए है, इसे सेकेंडरी स्टेज कहा गया है।

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