आखिर क्यों किसान कर रहे कृषि कानूनों का विरोध?

Edited By Yaspal,Updated: 26 Nov, 2020 11:12 PM

after all why are farmers opposing agricultural laws

कृषि कानूनों को लेकर पिछले 84 दिनों से पंजाब और हरियाणा के किसान सड़कों पर हैं। बुधवार को पंजाब के किसानों ने दिल्ली कूच करने की योजना बनाई लेकिन हरियाणा में उन्हें पंजाब और हरियाणा के बॉर्डर पर ही रोक लिया गया। हरियाणा सरकार ने किसानों को दिल्ली की...

नेशनल डेस्कः कृषि कानूनों को लेकर पिछले 84 दिनों से पंजाब और हरियाणा के किसान सड़कों पर हैं। बुधवार को पंजाब के किसानों ने दिल्ली कूच करने की योजना बनाई लेकिन हरियाणा में उन्हें पंजाब और हरियाणा के बॉर्डर पर ही रोक लिया गया। हरियाणा सरकार ने किसानों को दिल्ली की ओर बढ़ने से रोकने के लिए वाटर कैनन का इस्तेमाल किया, यही नहीं हरियाणा सरकार ने सड़कों पर बैरिकेटिंग, गड्डे और ट्रकों को खड़ा कर रोड को ब्लॉक करने की कोशिश की गई है। बावजूद इसके किसान दिल्ली की ओर आगे बढ़ रहे हैं।

क्या हैं कृषि कानून
कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन सुविधा) विधेयक 2020
इस कानून में केंद्र ने प्रावधान किया है कि किसान अपनी फसल अपने मन मुताबिक मनचाही जगह पर बेच सकता है। यहां पर कोई भी दखल अंदाजी नहीं कर सकता है। यानी की एग्रीकल्चर मार्केंटिंग प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी (एपीएमसी) के बाहर भी फसलों को बेच- खरीद सकते हैं। फसल की ब्रिकी पर कोई टैक्स नहीं लगेगा, ऑनलाईन भी बेच सकते हैं। साथ ही अच्छा दाम मिलेगा।

मूल्य आश्वासन एंव कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण एंव संरक्षण) अनुबंध विधेयक 2020
देशभर में कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग को लेकर व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव है। फसल खराब होने पर कॉन्ट्रेक्टर को पूरी भरपाई करनी होगी। किसान अपने दाम पर कंपनियों को फसल बेच सकेंगे। इससे उम्मीद जताई जारही है कि किसानों की आय बढ़ेगी।

आवश्यक वस्तु संशोधन बिल 2020
आवश्यक वस्तु अधिनियम को 1955 में बनाया गया था। खाद्य तेल, दाल, तिल आलू, प्याज जैसे कृषि उत्पादों पर से स्टॉक लिमिट हटा ली गई है। अति आवश्यक होने पर ही स्टॉक लिमिट को लगाया जाएगा। इसमें राष्ट्रीय आपदा, सूखा पड़ जाना शामिल है। प्रोसेसर या वैल्यू चेन पार्टिसिपेंट्स के लिए ऐसी कोई स्टॉक लिमिट लागू नहीं होगी। उत्पादन स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन पर सरकारी नियंत्रण खत्म होगा।

विरोध के कारण
इन कानूनों के चलते किसानों मे इस बात का डर बैठ गया है कि एपीएमसी मंडिया समाप्त हो जाएंगीं। कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन सुविधा) विधेयक 2020 में कहा गया है कि किसान एपीएमसी मंडियों के बाहर बिना टैक्स का भुगतान किए किसी को भी बेच सकता है। वहीं कई राज्यों में इस पर टैक्स का भुगतान करना होता है। इस बात का डर किसानों को सता रहा है कि बिना किसी अन्य भुगतान के कारोबार होगा तो कोई मंडी नहीं आएगा। साथ ही ये भी डर है कि सरकार एमएसपी पर फसलों की खरीद बंद कर देगी। गौरतलब है कि कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन सुविधा) विधेयक 2020 में इस बात का कोई जिक्र नहीं किया गया है फसलों की खरीद एमएसपी से नीचे के भाव पर नहीं होगी।

एमएसपी पर किन-किन फसलों की होती है खरीद
केंद्र सरकार एमएसपी पर गेहूं और धान की खरीद करती है। केंद्र बड़े पैमाने पर गरीब लोगों तक गेंहूं और चावल मुहैया कराता है, जिसके लिए केंद्र धान और गेहूं की खरीद करता है। इसके अलावा, दालें और प्याज का भी स्टॉक केंद्र सरकार करती है, जिससे कि मांग बढ़ने पर तत्काल राहत पहुंचाई जा सके। लेकिन आवश्यक वस्तु अधिनियम बिल 2020 में खाद्य तेल, दाल, तिल आलू, प्याज जैसे कृषि उत्पादों पर से स्टॉक लिमिट हटा ली गई है। जिससे किसानों को अपनी फसल को सस्ते दामों पर बिकने का डर सता रहा है।

सरकार क्या कहती है
सरकार की ओर से लगातार किसानों को समझाने का प्रयास हो रहा है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये कानून कृषि मंडियों के खिलाफ नहीं हैं। कृषि मंडियों में जैसे काम पहले होता था, वैसे ही आगे भी होता रहेगा। 

कितने प्रतिशत धान की खरीद कर चुकी है सरकार
केंद्र सरकार ने देश में धान की रिकॉर्ड 2 करोड़ मीट्रिक टन से ज्यादा धान की खरीद की है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तराखंड, चंडीगढ़, जम्मू-कश्मीर, केरल और गुजरात में धान की बम्पर खरीद जारी है। 31 अक्टूबर 2020 तक इन राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के किसानों से 204.59 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान की खरीद की जा चुकी है, इस वर्ष में अब तक हुई धान की खरीद में पिछले वर्ष से 21.16 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। 204.59 लाख मीट्रिक टन धान की कुल खरीद में से अकेले पंजाब की हिस्सेदारी 142.81 लाख मीट्रिक टन है, जो कि कुल खरीद का 69.80 प्रतिशत है।

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