Edited By Pardeep,Updated: 15 Mar, 2020 11:01 PM
मैंने कोरोना को हरा दिया। शुरूआत में थोड़ा बहुत डर जरूर लगा, लेकिन फिर हिम्मत बांध ली। अस्पताल में मुझे एक पल भी नहीं लगा कि मैं कोई मरीज हूं। जब मैं कोरोना को हरा सकता हूं तो कोई भी हरा सकता है...
नई दिल्लीः मैंने कोरोना को हरा दिया। शुरूआत में थोड़ा बहुत डर जरूर लगा, लेकिन फिर हिम्मत बांध ली। अस्पताल में मुझे एक पल भी नहीं लगा कि मैं कोई मरीज हूं। जब मैं कोरोना को हरा सकता हूं तो कोई भी हरा सकता है। पहले जरूर खबरें पढ़कर मुझे कोरोना खतरनाक दिखा लेकिन अब मैं ठीक होकर घर आ गया हूं। न ज्यादा गोलियां खाईं न ज्यादा तनाव में रहा। अस्पताल में रहकर रोज वीडियो कॉल करता था। घर वालों से बातचीत करके अच्छा लगता था। सफदरजंग में डॉक्टर भी बहुत अच्छे हैं। सबने मिलकर हमें हिम्मत बांधी।
ये कहना है दिल्ली के पहले कोरोना संक्रमित मरीज रोहित का। मयूर विहार फेज दो निवासी रोहित अब पूरी तरह से स्वस्थ्य होकर अपने घर जा चुके हैं। एहतियात के तौर पर उन्हें 14 दिन घर में आराम करने की सलाह दी है लेकिन रोहित अब पहले से ज्यादा अच्छा अनुभव कर रहे हैं। वे बताते हैं कि 25 फरवरी को जब वे इटली से वापस आए थे तो उन्हें बुखार हुआ था लेकिन डॉक्टर ने उन्हें दवा देकर घर भेज दिया था। इसके बाद 28 फरवरी को बच्चे की पार्टी होटल हयात में थी। पार्टी से लौटकर जब वे घर आए तो काफी बुखार आया। उस वक्त इटली में कोरोना से जुड़ी खबरें आ रही थीं तो 29 फरवरी को वे आरएमएल अस्पताल जांच कराने पहुंचे। जहां रिपोर्ट में संक्रमण की पुष्टि हुई।
होली के दिन जरूर रोहित को थोड़ा बुरा लगा लेकिन अस्पताल में डॉक्टरों ने उन्हें काफी हिम्मत दी। वार्ड में उनके पास फोन था, उसी से वे वीडियो कॉल करते थे। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से भी उन्होंने वीडियो कॉल के जरिए बात की थी। वे लगातार ठीक होते जा रहे थे और यह बात उन्हें अंदर से महसूस भी हो रही थी।
14 दिन बाद जब रिपोर्ट निगेटिव आई तो उनकी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। वार्ड में अंदर उन्हें योग भी कराया जाता। वहीं बाथरुम भी था। हर पल कोई न कोई उन्हें देखने आता रहता था। खाली टाइम निकालने के लिए वे फोन में ही फिल्में देखते थे। अस्पताल में रहते हुए उन्होंने चाणक्य नीति की किताब भी पढ़ डाली।