मोदी सरकार को एक और झटका, IMF के बाद फिच ने भी घटाया GDP ग्रोथ अनुमान

Edited By vasudha,Updated: 22 Jan, 2020 04:57 PM

after imf fitch also reduces gdp growth estimate

भारतीय अर्थव्यवस्था में लगातार छठी तिमाही में सुस्ती बरकरार रहने वाली है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के बाद अब इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च (फिच) ने भी इस वित्त वर्ष यानी 2020-21 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में सिर्फ 5.5 फीसदी बढ़त होने का...

बिजनेस डेस्क: फिच समूह की कंपनी इंडिया रेटिंग एंड रिसर्च ने बुधवार को कहा कि महंगाई दर में हाल में आई तेजी अस्थायी है और आने वाले समय में इसमें नरमी की उम्मीद है। एजेंसी के अनुसार 2020-21 में खुदरा मुद्रास्फीति की औसत दर 3.9 प्रतिशत और थोक मुद्रास्फीति 1.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष 2019- 20 में खुदरा मुद्रास्फीति के औसतन 4.4 प्रतिशत तथा थोक महंगाई दर के 1.4 प्रतिशत रहने की आशंका व्यक्ति की जा रही है। इंडिया रेटिंग ने कहा कि महंगाई दर में वृद्धि को देखते हुए नीतिगत दर में कटौती की संभावना नहीं है। 

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रिजर्व बैंक आने वाले समय में प्रमुख नीतिगत दर को यथावत रख सकता है। रिजर्व बैंक छह फरवरी को अगली मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करेगा। इंडिया रेटिंग ने कहा कि भारत में महंगाई दर के लिहाज से खाने-पीने के सामान और कच्चे तेल का दाम काफी महत्वपूर्ण है। हालांकि, तेल कीमतों में स्थिरता है लेकिन खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी 2014 से लगातार 70 महीनों तक स्थिर और एकल अंक में रहने के बाद नवंबर 2019 में उछलकर दहाई अंक में और दिसंबर में 14.12 प्रतिशत पर आ गयी।

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उल्लेखनीय है कि खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर 2019 में 7.35 प्रतिशत पर पहुंच गयी जो इससे पिछले महीने नवंबर में 5.54 प्रतिशत थी। वहीं थोक मुद्रास्फीति दिसंबर 2019 में बढ़कर 2.59 प्रतिशत पहुंच गयी जो नवंबर में 0.58 प्रतिशत थी। इस बारे में रेटिंग एजेंसी के निदेशक (पब्लिक फाइनेंस) और प्रधान अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा कि महंगाई दर में हाल की तेजी का कारण खाने-पीने के दाम में उछाल है। हालांकि, यह अस्थायी है। निर्यात के बारे में इंडिया रेटिंग ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर माहौल चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। इसका कारण अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाव और कई विकसित अर्थव्यवस्थाओं द्वारा संरक्षणवादी नीति को अपनाया जाना है। 

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रेटिंग एजेंसी के अनुसार इसके कारण चालू वित्त वर्ष में वस्तु और सेवा निर्यात में 2 प्रतिशत गिरावट की आशंका है। हालांकि, उसने कहा कि अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता में हाल की सफलता को देखते हुए अगले वित्त वर्ष में वैश्विक स्तर पर स्थिति कुछ बदल सकती है। इसका असर भारत के वस्तु और सेवा निर्यात पर भी पड़ेगा और इसमें 7.2 प्रतिशत वृद्धि हो सकती है। इससे चालू खाते का घाटा मामूली रूप से घटकर 32.7 अरब डॉलर (जीडीपी का 1.1 प्रतिशत) रह सकता है। चालू वित्त वर्ष में इसके 33.9 अरब डॉलर (जीडीपी का 1.2 प्रतिशत) रहने का अनुमान है।

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