राम माधव बोले, चुनाव के बाद BJP को बहुमत के लिए पड़ सकती है सहयोगियों की जरूरत

Edited By Seema Sharma,Updated: 07 May, 2019 09:30 AM

after the election bjp may need a majority for its allies ram madhav

केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के वरिष्ठ नेता राम माधव ने कहा कि इस लोकसभा चुनाव में भाजपा बहुमत से पीछे रह सकती है। उन्होंने कहा कि भाजपा को बहुमत के लिए सहयोगियों की जरूरत पड़ सकती है। उनका यह बयान ऐसे समय में सामने आया है

नई दिल्ली: केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के वरिष्ठ नेता राम माधव ने कहा कि इस लोकसभा चुनाव में भाजपा बहुमत से पीछे रह सकती है। उन्होंने कहा कि भाजपा को बहुमत के लिए सहयोगियों की जरूरत पड़ सकती है। उनका यह बयान ऐसे समय में सामने आया है जब खुद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री अरुण जेतली जैसे तमाम नेता दावा कर रहे हैं कि पार्टी अपने दम पर बहुमत हासिल कर लेगी। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव के इस बयान के साथ ही इन चुनावों में पहली बार गठबंधन का मुद्दा उठा है। ब्लूमबर्ग को दिए एक इंटरव्यू में राम माधव ने कहा, ‘‘अगर हम अपने दम पर 271 सीटें हासिल कर लेते हैं तो यह बहुत खुशी की बात होगी।’’ हालांकि उन्होंने कहा कि एन.डी.ए. को पूर्ण बहुमत मिलेगा।

राम माधव ने कहा कि भाजपा को उत्तर भारत के उन राज्यों में संभावित तौर पर नुक्सान हो सकता है जहां 2014 में रिकॉर्ड जीत मिली थी। हालांकि दूसरी तरफ पूर्वोत्तर के राज्यों और ओडिशा व पश्चिम बंगाल में पार्टी को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि अगर हम सत्ता में लौटे तो विकास परक नीतियों को आगे बढ़ाएंगे। पाकिस्तान के मुद्दे पर उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान को आतंकवाद से लड़ाई में ईमानदारी दिखानी चाहिए। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि लोकसभा चुनाव नतीजों के 3 सप्ताह के अंदर ही एस.सी.ओ. (शंघाई को-ऑप्रेशन ऑर्गेनाइजेशन) की समिट है। इस समिट में पी.एम. मोदी और पाकिस्तानी पी.एम. इमरान खान आमने-सामने होंगे। अगर पाकिस्तान अगले एक महीने के अंदर कुछ ठोस कदम उठाता है तो रिश्तों में सुधार की संभावना है।

उन्होंने कहा कि भारत की विदेश नीति में एक और अहम पड़ाव पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के रिश्तों में मजबूती रहा। दोनों लोगों के बीच काफी अच्छे व्यक्तिगत रिश्ते बन गए हैं। बैल्ट एंड रोड परियोजना के मुद्दे पर राम माधव ने कहा, ‘‘जब तक संप्रभुता का मुद्दा हल नहीं हो जाता है तब तक कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। भारत इस पर लंबे समय से आपत्ति जताता रहा है क्योंकि इसके तहत पी.ओ.के. समेत पाकिस्तान में 60 बिलियन डॉलर की परियोजनाओं पर निवेश किया जा रहा है। हमारा अभी भी मानना है कि पूरी परियोजना की एकतरफा तरीके से परिकल्पना की गई।’’

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