80 प्रतिशत पेड़ों के ट्रांसप्लांटेशन पर एजेंसियों ने जताई असहमति!

Edited By Pardeep,Updated: 26 Dec, 2019 04:59 AM

agencies express disagreement over transplantation of 80 percent of trees

दिल्ली सरकार किसी स्थल से काटे जाने वाले पेड़ों में 80 प्रतिशत पेड़ों के ट्रांसप्लांटेशन की प्रक्रिया अनिवार्य रूप से शुरू करना चाहती है। लेकिन इस संबंध में पॉलिसी को लागू करने से पहले विभिन्न एजेंसियों की ट्री अथॉरिटी की ओर से बुलाई गई बैठक में...

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार किसी स्थल से काटे जाने वाले पेड़ों में 80 प्रतिशत पेड़ों के ट्रांसप्लांटेशन की प्रक्रिया अनिवार्य रूप से शुरू करना चाहती है। लेकिन इस संबंध में पॉलिसी को लागू करने से पहले विभिन्न एजेंसियों की ट्री अथॉरिटी की ओर से बुलाई गई बैठक में अधिकारियों ने 80 प्रतिशत पेड़ों के ट्रांसप्लांटेशन पर संशय जाहिर की है। ऐसे में ट्रांसप्लांटेशन पॉलिसी ऑफ ट्री फिलहाल अधर में लटकती नजर आ रही है। राजधानी की आबोहवा में यह प्रयोग कितना सफल होगा, इस पर भी एजेंसियों के अधिकारी संशय में हैं। 

ट्री अथॉरिटी के अध्यक्ष और पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव संजीव खिरवार की अध्यक्षता में हाल में इस मुद्दे पर विभिन्न विभागों और एजेंसियों की बैठक बुलाई गई। इसमें सरकार की ओर से आने वाली पॉलिसी की जानकारी देते हुए कहा गया कि किसी परियोजना को शुरू करने के लिए बड़े स्तर पर पेड़ काटे नहीं जाएंगे,बल्कि उन्हें परियोजना स्थल से हटाकर किसी अन्य स्थान पर लगाया जाएगा। प्रत्येक परियोजना में कम से कम 80 प्रतिशत वृक्ष का ट्रांसप्लांटेशन किया जाएगा। यह ट्रांसप्लांटेशन किसी विशेषज्ञ की देखरेख में किया जाएगा। लेकिन पॉलिसी को लागू करने को लेकर अधिकारियों में इस मुद्दे पर असहमति बरकरार है। राजधानी की आबोहवा में यह प्रयोग कितना सफल होगा,इस पर अधिकारी असमंजस में हैं। दिल्ली में इस विषय पर अभी पर्याप्त वैज्ञानिक डेटा का भी अभाव है। हालांकि ट्री अथारिटी के अध्यक्ष और पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव ने मामले का हल निकालने के उद्देश्य से निर्देश जारी किया है कि बड़े पैमाने पर ट्रांसप्लांटेशन करने के पहले तकनीकी एजेंसी नियुक्त करनी होगी।

एनडीएमसी और नगर निगमों के बागवानी विभाग के अधिकारी भी इस एजेंसी के सदस्य की भूमिका में होंगे। यह एजेंसी वृक्ष की वर्तमान स्थिति,भूमि की वैज्ञानिक स्थिति और इसके ट्रांसप्लांटेशन प्रक्रिया पर जानकारी जुटाएगी,ताकि परियोजना सफलता पूर्वक लागू किया जा सके। लेकिन एनडीएमसी के अधिकारी ने सलाह दिया है कि वृक्षों के ट्रांसप्लांटेशन की सफलता में वृक्ष का वर्तमान स्वास्थ्य व मिट्टी की स्थिति पर निर्भर करेगा। इस कारण तकनीकी कमेटी बनानी होगी। तकनीकी विशेषज्ञ वृक्ष की वर्तमान स्थिति का जायजा लेकर राय देंगे कि किस वृक्ष का ट्रांसप्लांटेशन किया जा सकेगा। 

प्रत्येक परियोजना में 80 प्रतिशत वृक्ष को सीधे हटाने की बजाय तकनीकी विशेषज्ञ की राय लेकर आगे बढऩे को बेहतर बताया गया है। बैठक में कहा गया कि कितने वृक्ष का ट्रांसप्लांटेशन होगा और इस कार्य के लिए कितनी जमीन दिल्ली सरकार के पास उपलब्ध है, इसका लेखा-जोखा तुरंत तैयार करने की जरूरत है। अब तक राजधानी में बड़े पैमाने पर ट्रांसप्लांटेशन का काम नहीं किया गया है, जिस कारण यहां की भूमि और आबोहवा संबंधी विस्तृत वैज्ञानिक डेटा उपलब्ध नहीं है। जब यह प्रक्रिया शुरू होगी तो इस पर डेटा उपलब्ध हो सकेगा। जिस प्रजाति के वृक्ष आसानी से लगते हैं उन्हें ट्रांसप्लांटेशन में शामिल करने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन जिस प्रजाति के वृक्ष आसानी से नहीं लगते हैं, उन्हें ट्रांसप्लांटेशन में शामिल करना आसान नहीं होगा। ऐसे में दिल्ली में 80 प्रतिशत वृक्षों के ट्रांसप्लांटेशन को लेकर पॉलिसी तैयार है, लेकिन इसे लागू करने वाले अधिकारियों के बीच संशय बरकरार है।

क्या है मामला 
दिल्ली के लिए पर्यावरण सबसे बड़ी चिंता है। इसके लिए एक महत्वपूर्ण योजना लाने की तैयारी की जा रही है। इसके तहत किसी परियोजना के लिए जितने पेड़ हटाने होंगे, उनमें से सिर्फ  20 प्रतिशत पेड़ों को काटने की अनुमति मिलेगी। बाकी के 80 फीसदी पेड़ों को आधुनिक तकनीक से ट्रांसप्लांट करना जरूरी होगा। इतना ही नहीं, ट्रांसप्लांट किए गए पेड़ों का सर्वाइवल रेट भी 80 प्रतिशत तक तय किया जा रहा है। इसके अलावा हर हटाने वाले पेड़ के बदले 10 पौधे लगाने का नियम लागू रहेगा।

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