अग्नि-V का टेस्ट जल्द, रेंज में होगा चीन का चप्पा-चप्पा

Edited By ,Updated: 14 Dec, 2016 02:33 PM

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भारत जल्द ही अपनी बहुप्रतीक्षित इंटरकॉन्टिनेंटल बलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का परीक्षण करने जा रहा है। यह टेस्ट करीब दो साल बाद होगा। रक्षा सूत्रों के मुताबिक, टेस्ट के लिए तैयारियां आखिरी चरण में हैं। दिसंबर के अंत या जनवरी की शुरुआत में इसका परीक्षण...

नई दिल्ली: भारत जल्द ही अपनी बहुप्रतीक्षित इंटरकॉन्टिनेंटल बलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का परीक्षण करने जा रहा है। यह टेस्ट करीब दो साल बाद होगा। रक्षा सूत्रों के मुताबिक, टेस्ट के लिए तैयारियां आखिरी चरण में हैं। दिसंबर के अंत या जनवरी की शुरुआत में इसका परीक्षण संभव है।


जनवरी 2015 में हुए परीक्ष में कुछ तकनीकी परेशानिशां थीं। उसके बाद, मिसाइल की बैटरी और इलेक्ट्रॉनिक सर्किट को दुरुस्त किया गया है। ये मिसाइल 5000 से 5500 किलोमीटर की दूरी तक वार करने में सक्षम है। ये भारत की पहली भारतीय मिसाइल होगी जो एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक हमला कर सकेगी। इसका लॉन्च ओडिशा के वीलर आइलैंड से होगा। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इस मिसाइल की जद में पूरा चीन होगा। 


चीन पर होगी तीखी नजर
यह मिसाइल चीन के सुदूर उत्तरी इलाकों को भी निशाना बनाने में सक्षम है। सूत्र ने बताया, यह अग्नि-5 मिसाइल का फाइनल टेस्ट होगा। इसमें इसके फुल रेंज को परखा जाएगा। इसके बाद ही स्ट्रैटिजिक फोर्सेज कमांड की तरफ से इसका यूजर ट्रायल शुरू किया जाएगा। मिसाइल को सेना में शामिल करने के लिए उत्पादन शुरू करने से पहले एसएफसी कम से कम दो टेस्ट करेगी। बता दें कि एसएफसी तीनों सेनाओं का संयुक्त कमांड है, जिसकी स्थापना 2003 में हुई थी। इसका काम भारत के परमाणु हथियारों के जखीरे की देखरेख करना है। जल्द होने वाला यह टेस्ट अग्नि-5 का चौथा टेस्ट होगा। अग्नि-5 का पहला टेस्ट अप्रैल 2012, दूसरा सितंबर 2013 और तीसरा जनवरी 2013 में हुआ। 
 

ये हैं खासियत
जनवरी 2013 में किए गए आखिरी टेस्ट की खासियत यह थी कि मिसाइल को एक लॉन्चर ट्रक पर रखे कनस्तर से दागा गया। यह खासियत मिसाइल को और ज्यादा खतरनाक बना देती है क्योंकि इससे सेना को इस 50 टन वजनी मिसाइल को कहीं भी ले जाकर वहां से फायर करने की सहूलियत मिलती है। एक बार अग्नि-5 के सेना में शामिल होते ही भारत आईसीबीएम मिसाइलों (5000-5500 किलोमीटर रेंज) वाले बेहद सीमित देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा। 
 

इन देशों में अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देश शामिल हैं। एसएफसी ने छोटी रेंज के पृथ्वी और धनुष मिसाइलों के अलावा अग्नि-5, अग्नि-1, अग्नि-2 मिसाइल को सेना में शामिल किया है। इन मिसाइलों का मुख्य मकसद पाकिस्तान की ओर से किसी भी गलत हरकत का माकूल जवाब देना है। वहीं, अग्नि-4 और अग्नि-5 जैसे मिसाइल चीन के खिलाफ रणनीतिक बढ़त हासिल करने में मददगार हैं।
 

हालांकि, भारत अपनी ओर से रणनीतिक संयम भी दिखाना चाहता है क्योंकि उसकी नजर 48 देशों की सदस्यता वाले न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप का हिस्सा बनने पर है। भारत के एनएसजी का सदस्य बनने की राह में चीन ने रोड़ा अटकाया था। हालांकि, भारत को उस वक्त एक बड़ी कामयाबी मिली, जब उसे 34 देशों वाले मिसाइल टेक्नॉलजी कंट्रोल रेजिम का हिस्सेदार बनाया गया। इसके अलावा, हाल ही में जापान के साथ भारत ने सिविल न्यूक्लियर अग्रीमेंट भी किया है।

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