Edited By Seema Sharma,Updated: 26 Dec, 2019 04:42 PM
दिल्ली हाईकोर्ट ने चौथे चरण के कैंसर से पीड़ित एक महिला की याचिका पर केंद्र और एम्स से जवाब मांगा है। महिला ने अपनी याचिका में एम्स को उसे चिकित्सा मुहैया कराने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया है। न्यायमूर्ति नवीन चावला ने एक अंतरिम आदेश में अखिल...
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने चौथे चरण के कैंसर से पीड़ित एक महिला की याचिका पर केंद्र और एम्स से जवाब मांगा है। महिला ने अपनी याचिका में एम्स को उसे चिकित्सा मुहैया कराने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया है। न्यायमूर्ति नवीन चावला ने एक अंतरिम आदेश में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से कहा कि अगर महिला 16 जनवरी तक वहां जाती है, तो उसे पूरा इलाज मुहैया कराया जाए। अदालत ने कहा कि मामले में अगली सुनवाई तक यदि याचिकाकर्ता (महिला) प्रतिवादी संख्या दो (एम्स) के समक्ष जांच या उपचार के लिए उपस्थित होती है तो अस्पताल याचिकाकर्ता को पूर्ण इलाज मुहैया कराए।
मामले में अगली सुनवाई 16 जनवरी को होगी। यह याचिका 52 वर्षीय शशि बाला ने हाईकोर्ट में दायर की और एम्स को निर्देश देने का अनुरोध किया कि उसकी वर्तमान चिकित्सीय स्थिति और दो अलग-अलग अस्पतालों में की गई जांचों पर विचार करते हुए उसे इलाज मुहैया कराए। महिला की ओर से पेश वकीलों ललित नागर और आशीष नेगी ने अस्पतालों के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने की खातिर केंद्र सरकार को निर्देश देने का भी अनुरोध किया।
याचिका में कहा गया है कि कैंसर के चौथे चरण से पीड़ित महिला को भर्ती करने या उसका इलाज करने से इनकार करना, उसके मौलिक अधिकारों का हनन है- महिला की हालत कमजोर और नाजुक है और अगर उसका इलाज एम्स द्वारा नहीं किया गया तो उसकी जान जा सकती है। एम्स द्वारा किसी जरूरतमंद व्यक्ति को समय पर चिकित्सा मुहैया नहीं कराना अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार को निरस्त करता है।'' याचिका में कहा गया है कि महिला का पहले बत्रा अस्पताल में और उसके बाद राजीव गांधी कैंसर संस्थान और अनुसंधान केंद्र में इलाज चल रहा था, लेकिन इलाज संतोषप्रद नहीं था।