वायु प्रदूषण को कम करेगा ‘गुजरात मॉडल’

Edited By Anil dev,Updated: 13 Jul, 2019 11:18 AM

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वायु प्रदूषण देश में एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन रहा है। खासकर हवा में पहुंच रहे सूक्ष्म प्रदूषक कण जिन्हें पीएम-2.5 कहा जाता है, फेफड़ों तक पहुंचकर जम जाते हैं। मगर इस प्रदूषण को कम करने के लिए दुनिया का पहला ‘कैप एंड ट्रेडिंग’ कार्यक्रम गुजरात के...

नई दिल्ली: वायु प्रदूषण देश में एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन रहा है। खासकर हवा में पहुंच रहे सूक्ष्म प्रदूषक कण जिन्हें पीएम-2.5 कहा जाता है, फेफड़ों तक पहुंचकर जम जाते हैं। मगर इस प्रदूषण को कम करने के लिए दुनिया का पहला ‘कैप एंड ट्रेडिंग’ कार्यक्रम गुजरात के सूरत में ट्रायल के रूप में शुरू किया जा रहा है। यह हवा से पार्टिकुलेट मैटर (पीएम-2.5 और 10) को कम करेगा। इस मॉडल को शिकागो यूनिवर्सिटी और हावर्ड यूनिवर्सिटी की मदद से चार साल में तैयार किया गया है।

सूरत का चयन क्यों
सूरत में बड़े पैमाने पर मौजूद टैक्सटाइल और डाइंग इकाइयां प्रदूषण का बड़ा कारण हैं। 2011 से ही स्थानीय प्रशासन इस प्रदूषण को कम करने के उपायों पर शिकागो यूनिवर्सिटी और हावर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर काम कर रहा है।  

भारत में वायु प्रदूषण के मुख्य कारक
ट्रैफिक एग्जॉस्ट यानी वाहनों के इंजन से निकलने वाली गैसें
ग्रामीण क्षेत्रों में ईंधन के रूप में लकड़ी और पाथियों का इस्तेमाल
फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं ठ्ठ निर्माण के दौरान उडऩे वाली गर्द

ऐसे काम करेगा प्रोग्राम
कैप एंड ट्रेडिंग प्रोग्राम के तहत हर इकाई को एक परिमिट जारी किया जाएगा, जिसमें वह प्रतिघन मीटर 150 मिलीग्राम से ज्यादा पार्टिकुलेट मैटर वातावरण में नहीं छोड़ सकती। इन परिमिट्स में कुल मात्रा निर्धारित होगी और इस तरह तय मानक तक प्रदूषण में कमी लाई जाएगी। हालांकि उद्योगों को यह छूट रहेगी कि मानक से कम प्रदूषण कर रही इकाइयां अपने बचे परमिट को दूसरी इकाइयों को बेच भी सकती हैं। इस तरह का प्रयास फर्मों को अपना प्रदूषण कम करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

निगरानी उपकरण अनिवार्य
2015 में पर्यावरण मंत्रालय के आदेश के बाद 17 उद्योगों जिनमें लुगदी और कागज,  डिस्टिलरी, चीनी, टेनरीज, पॉवर प्लांट, लोहा और इस्पात भी शामिल है में एमिशन मॉनिटरिंग सिस्टम डिवाइस लगाना अनिवार्य किया गया। इससे प्रदूषण की लाइव रीडिंग संभव हुई। पहले चरण में 170 औद्योगिक इकाइयों में इन्हें लगाया गया है। इसकी लागत 4.8 लाख रुपये तक आती है। 

  • 12 लाख लोगों की देश में मौत का कारण 2017 में वाय प्रदूषण था
  • 08 गुना है भारत में पीएम-2.5 का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक से
  • 170 इकाइयों में प्रयोग के तौर पर पहले चरण में लगाए गए मॉनिटरिंग उपकरण 
     

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