Edited By Seema Sharma,Updated: 01 Aug, 2018 10:07 AM
फेफड़े के कैंसर से धूम्रपान करने वाले ही नहीं बल्कि धूम्रपान नहीं करने वाले युवक-युवतियां भी जूझ रहे हैं और ऐसा शायद बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण हो रहा है। पिछले 6 सालों में किए गए एक नए अध्ययन में यह दावा किया गया है। सर गंगा राम अस्पताल में...
नई दिल्ली: फेफड़े के कैंसर से धूम्रपान करने वाले ही नहीं बल्कि धूम्रपान नहीं करने वाले युवक-युवतियां भी जूझ रहे हैं और ऐसा शायद बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण हो रहा है। पिछले 6 सालों में किए गए एक नए अध्ययन में यह दावा किया गया है। सर गंगा राम अस्पताल में डॉक्टरों ने अध्ययन के नतीजे को चिंताजनक बताया है। इसके तहत मार्च 2012 से जून 2018 तक 150 से ज्यादा मरीजों का विश्लेषण किया गया।
अस्पताल में फेफड़ों के सर्जन अरविंद कुमार ने कहा, ‘‘इन मरीजों में तकरीबन 50 प्रतिशत धूम्रपान नहीं करते थे। 50 वर्ष से कम उम्र समूह में यह आंकड़ा बढ़कर 70 प्रतिशत हो गया। फेफड़े का कैंसर खतरनाक बीमारी है और इसके निदान के बाद 5 साल तक जीवित रहने की उम्मीद होती है।
युवाओं, धूम्रपान नहीं करने वालों और महिलाओं में बढ़ते मामले को देखकर हम हैरान रह गए।’’ पारम्परिक ज्ञान यह कहता है कि धूम्रपान मुख्य वजह है लेकिन ठोस सबूत हैं कि फेफड़े के कैंसर के बढ़ते मामलों में प्रदूषित हवा की भूमिका बढ़ रही है।’’