Edited By Seema Sharma,Updated: 12 Jun, 2019 12:22 PM
वायु प्रदूषण से होने वाली घातक बीमारियों की वजह से भारत में जीवन प्रत्याशा यानी औसत आयु 2.6 साल घट गई है। पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाले संगठन सीएसई की एक ताजा रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।
नई दिल्ली: वायु प्रदूषण से होने वाली घातक बीमारियों की वजह से भारत में जीवन प्रत्याशा यानी औसत आयु 2.6 साल घट गई है। पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाले संगठन सीएसई की एक ताजा रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट (सीएसई) ने कहा कि घर से बाहर का वातावरण और घर में, दोनों ही जगह वायु प्रदूषण जानलेवा रोगों को न्योता दे रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण भारत में स्वास्थ्य संबंधी सभी खतरों में मौत का अब तीसरा सबसे बड़ा कारण हो गया है। यह बाहरी पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5, ओजोन और घर के अंदर के वायु प्रदूषण का सामूहिक प्रभाव है।'' इसमें कहा गया है कि इस सामूहिक प्रभाव की वजह से भारतीयों समेत दक्षिण एशियाई लोगों की जीवन प्रत्याशा 2.6 साल कम हो गयी है।
यह दुनियाभर में जीवन प्रत्याशा औसतन 20 महीने कम होने के आंकड़े से डेढ़ गुना ज्यादा है। रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में आज जन्मा कोई बच्चा वायु प्रदूषण नहीं होने की स्थिति की तुलना में औसतन 20 महीने पहले दुनिया छोड़ जाएगा, वहीं भारत में लोगों की मृत्यु अपेक्षा से 2.6 साल पहले हो जाएगी। सीएसई के मुताबिक बाहरी पीएम तत्वों की वजह से जीवन जीने की अवधि करीब डेढ़ साल कम हो जाती है, वहीं घर के भीतरी वायु प्रदूषण से यह एक साल दो महीने कम हो जाती है। इस बारे में किसी सरकारी अधिकारी की प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी।
हाल ही में विश्व पर्यावरण दिवस पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि 2014 में खराब वायु गुणवत्ता 300 दिन तक रहती थी जो इस साल कम होकर 206 दिन हो गयी है। पूर्व पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन ने पहले वायु प्रदूषण पर एक वैश्विक रिपोर्ट को खारिज कर दिया था जिसके अनुसार देश में जहरीली हवा की वजह से 12 लाख लोगों की मौत हो गई। उन्होंने कहा था कि इस तरह के अध्ययन केवल घबराहट पैदा करने के लिए हैं।