Edited By Pardeep,Updated: 28 Jan, 2020 10:20 PM
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि हवाई अड्डे पर चेक-इन के बाद यात्रियों के खुद ही बोर्डिंग गेट की ओर जाने की उम्मीद की जाती है और यह विमान कंपनियों का दायित्व नहीं है कि वो हर यात्री को वहां तक पहुंचाए। शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर किसी यात्री को...
नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि हवाई अड्डे पर चेक-इन के बाद यात्रियों के खुद ही बोर्डिंग गेट की ओर जाने की उम्मीद की जाती है और यह विमान कंपनियों का दायित्व नहीं है कि वो हर यात्री को वहां तक पहुंचाए। शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर किसी यात्री को बोर्डिंग गेट तक पहुंचने में दिक्कत आती है तो उसे ग्राउंड स्टाफ से मदद लेनी चाहिए।
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने कहा कि अगर ऐसा अनुरोध किया जाता है तो यह मानने की कोई वजह नहीं है कि संबंधित विमान कंपनी के कर्मचारी यात्री को समय पर बोर्डिंग गेट तक पहुंचाने में मदद नहीं करेंगे। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटारा आयोग (एनसीडीआरसी) के एक आदेश को चुनौती देने वाली अपील पर यह फैसला आया।
एनसीडीआरसी ने त्रिपुरा राज्य आयोग के आदेश के खिलाफ विमान कंपनी की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए इंडिगो को कल्पना रानी देववर्मा और उनके परिवार को हर्जाने के तौर पर 20,000 रुपये देने को कहा था। देववर्मा ने दावा किया था कि कोलकाता हवाई अड्डे उनका परिवार मौजूद था लेकिन विमान के बारे में उन्हें अवगत नहीं कराया गया ।