Edited By prachi upadhyay,Updated: 27 Jul, 2019 02:53 PM
नई दिल्ली: अनुच्छेद 35ए को लेकर लगातार अटकलें तेज होती जा रही हैं। एनएसए अजीत डोभाल के कश्मीर दौरे से लौटने के बाद 10 हजार अतिरिक्त बल को कश्मीर भेजा गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस अतिरिक्त कंपनियों की तैनाती को मंजूरी दी है। कुछ कंपनियां...
नई दिल्ली: केंद्र ने जम्मू-कश्मीर में स्वतंत्रता दिवस से पहले सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता करने और आतंकवादी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए वहां दस हजार अतिरिक्त केन्द्रीय पुलिस बलों की तैनाती का निर्णय लिया है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की दो दिन की जम्मू-कश्मीर यात्रा के बाद यह कदम उठाया गया है। गृह मंत्रालय के केन्द्रीय पुलिस बलों को जारी आदेश में राज्य में अर्द्धसैनिक बलों की 100 कंपनियां तैनात करने को कहा गया है। इनमें से 50 कंपनी केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल , 30 सशस्त्र सीमा बल और दस-दस सीमा सुरक्षा बल तथा भारत तिब्बत सीमा पुलिस की होंगी।
मंत्रालय के आदेश में कहा गया है कि राज्य में ‘आतंकवाद रोधी ग्रिड' को मजबूत बनाने और कानून व्यवस्था की स्थिति बनाये रखने के लिए अतिरिक्त बलों की तैनाती की जा रही है। इस बीच राज्य सरकार के एक अधिकारी ने कहा है कि केन्द्र से अतिरिक्त सुरक्षा बलों की मांग पहले ही की जा चुकी थी और इसके लिए देश के अलग अलग हिस्सों से जवानों को घाटी में भेजा जा रहा है।
अनुच्छेद 35ए को भंग करने को लेकर लगातार अटकलें तेज
वहीं अनुच्छेद 35ए को भंग करने को लेकर लगातार अटकलें तेज होती जा रही हैं। जिससे संबंधित एक आदेश सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है। जिसके मुताबिक, अमरनाथ यात्रा के समाप्त हो जाने के बाद केंद्र सरकार आर्टिकल 35ए पर फैसला ले सकती है। तबतक संसद का सत्र भी खत्म हो जाएगा। बताया जा रहा है कि अनुच्छेद 35ए को राष्ट्रपति के आदेश से समाप्त किया जा सकता है। इसके हटने के बाद घाटी में बड़े पैमाने पर हिंसा का खतरा रहेगा। ऐसे में कानून-व्यवस्था को संभाले रखने के लिए अभी से अतिरिक्त फोर्स की तैनाती का फैसला किया गया है।इधर नेशनल कांफ्रेंस और पैंथर्स पार्टी ने कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षाबल तैनात करने के केंद्र के फैसले पर सवाल उठाया है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्र और राज्य प्रशासन पर लोगों में डर पैदा करने का आरोप लगाया। वहीं नेशनल कांफ्रेंस के महासचिव अली मोहम्मद ने कहा कि केंद्र के इस फैसले से आम लोगों में डर पैदा होगा। कहीं ऐसा तो नहीं कि केंद्र सरकार राज्य के संविधान के साथ कोई छेड़छाड़ करने के मूड में है।