Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Dec, 2017 08:33 AM
यशवंत सिन्हा राजनीतिक तौर पर अलग-थलग और अकेले थे। मगर एक ही रात में उन्होंने महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ पार्टी को उस समय चिंतित कर डाला जब वह अकोला में आए और फडनवीस सरकार को किसानों की सभी 6 मांगों को स्वीकार करने के लिए बाध्य कर दिया। किसानों के...
नेशनल डैस्कः यशवंत सिन्हा राजनीतिक तौर पर अलग-थलग और अकेले थे। मगर एक ही रात में उन्होंने महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ पार्टी को उस समय चिंतित कर डाला जब वह अकोला में आए और फडनवीस सरकार को किसानों की सभी 6 मांगों को स्वीकार करने के लिए बाध्य कर दिया। किसानों के आंदोलन को कम समय में मिली शानदार सफलता ने सभी राजनीतिक पार्टियों को हैरान कर दिया क्योंकि सिन्हा न केवल स्थानीय किसानों का समर्थन जुटाने में सफल रहे बल्कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और अन्य पार्टियां भी उनकी तरफ देखने को मजबूर हुईं।
ममता ने दिनेश त्रिवेदी को वहां भेजा और अब ऐसी चर्चा है कि स्वाभिमान पक्ष पार्टी, आम आदमी पार्टी, बीजू जनता दल और कई अन्य पार्टियां भाजपा शासित क्षेत्रों में स्थिति का लाभ उठाने में जुटी हुई हैं। उनको यशवंत सिन्हा जैसा एक कुशल नेता मिल गया है। वह 80 वर्ष के होने के बावजूद भाजपा के भीतर बगावत करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। वह अब किसानों के मसीहा की नई भूमिका निभा रहे हैं। इस संबंधी थोड़ा और इंतजार करना होगा, देखना है कि स्थिति क्या मोड़ लेगी।