तीन तलाक के प्रस्ताविक विधेयक का AIMPLB ने किया विरोध

Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Dec, 2017 05:04 PM

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संसद के शीतकालीन सत्र में पेश होने से पहले ही तीन तलाक विधेयक का ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने विरोध किया है। इस संगठन ने इस बिल पर चर्चा करते हुए इसे महिला विरोधी बताया है। एक बार में तीन तलाक को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवैध मानने के बाद अब...

नेशनल डेस्क: संसद के शीतकालीन सत्र में पेश होने से पहले ही तीन तलाक विधेयक का ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने विरोध किया है। इस संगठन ने इस बिल पर चर्चा करते हुए इसे महिला विरोधी बताया है। एक बार में तीन तलाक को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवैध मानने के बाद अब केंद्र की मोदी सरकार इस मसले पर कानून लाने जा रही है। इस संबंध में मौजूदा संसद सत्र में बिल पेश किए जाने की योजना है।

रविवार को हुई आपात बैठक
रविवार को लखनऊ में इस संबंध में पर्सनल लॉ बोर्ड की वर्किंग कमेटी की बैठक हुई। इस बैठक में तीन तलाक पर प्रस्तावित बिल को लेकर चर्चा की गई। कई घंटों चली बैठक के बाद बोर्ड ने इस बिल को खारिज करने का निर्णय लिया।
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महिलाओं की आजादी में होगी दखल
तीन तलाक पर लाए जा रहे इस बिल को बोर्ड ने महिला विरोधी बताया है। साथ ही तीन साल की सजा देने वाले प्रस्तावित मसौदे को क्रिमिनल एक्ट करार दिया है। बोर्ड की बैठक में तीन तलाक पर बनाए जाना वाले कानून को महिलाओं की आजादी में दखल कहा गया है।

51 सदस्यों ने दिए विचार
इस आपात बैठक में शामिल होने के लिए बोर्ड की वर्किंग कमेटी के सभी 51 सदस्यों के बुलाया गया था। बैठक में शिरकत करने बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसन नदवी, बोर्ड के महासचिव मौलना सईद वली रहमानी के अलावा सेक्रेटरी मौलना खालिद सैफुल्लाह रहमानी, ख़लीलुल रहमान सज्जाद नौमानी, मौलाना फजलुर रहीम, मौलाना सलमान हुसैनी नदवी भी पहुंचे थे।

26 दिसंबर को पेश होगा बिल
क्रिसमस की छुट्टी के बाद मंगलवार को संसद में तीन तलाक बिल पेश किए जाने की संभावना है। इस बिल में एक साथ तीन बार तलाक (बोलकर, लिखकर या ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सएप जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से) कहना गैरकानूनी होगा।

- ऐसा करने वाले पति को तीन साल के कारावास की सजा हो सकती है। यह गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध माना जाएगा।

- यह कानून सिर्फ 'तलाक ए बिद्दत' यानी एक साथ तीन बार तलाक बोलने पर लागू होगा।

- तलाक की पीड़िता अपने और नाबालिग बच्चों के लिए गुजारा भत्ता मांगने के लिए मजिस्ट्रेट से अपील कर सकेगी।

- पीड़ित महिला मजिस्ट्रेट से नाबालिग बच्चों के संरक्षण का भी अनुरोध कर सकती है. मजिस्ट्रेट इस मुद्दे पर अंतिम फैसला करेंगे।

- यह प्रस्तावित कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू होगा है।

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