Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Oct, 2017 03:34 PM
लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने का पक्ष लेते हुए चुनाव आयोग ने आज कहा कि ऐसा कुछ करने से पहले तमाम...
नई दिल्ली: लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने का पक्ष लेते हुए चुनाव आयोग ने आज कहा कि ऐसा कुछ करने से पहले तमाम राजनीतिक पाॢटयों को इसके लिए सहमत करना जरूरी है। चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा, ‘चुनाव आयोग का हमेशा से नजरिया रहा है कि एक साथ चुनाव कराने से निवर्तमान सरकार को आदर्श आचार संहिता लागू होने से आने वाली रूकावट के बगैर नीतियां बनाने और लगातार कार्यक्रम लागू करने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा।’ उन्होंने कहा कि संविधान और जनप्रतिनिधित्व कानून में जरूरी बदलाव करने के बाद ही एक साथ चुनाव कराना मुमकिन हो सकेगा। मौजूदा कानूनी और संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार किसी राज्य की विधानसभा या लोकसभा का कार्यकाल खत्म होने से छह महीने पहले तक चुनाव कराए जा सकते हैं।
रावत ने कहा कि संवैधानिक और कानूनी खाका बनाने के बाद ही तमाम तरह के समर्थन मांगना और एक साथ चुनाव कराना उचित होगा। उन्होंने कहा, ‘आयोग (संवैधानिक और कानूनी बदलाव करने के बाद) ऐसे चुनाव छह महीने बाद करा सकता है।’ उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव कराने के लिए तमाम राजनीतिक पाॢटयों की सहमति आवश्यक है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा विधानसभाओं के चुनाव 2019 के मध्य में अगले आम चुनाव के साथ होने हैं। रावत ने कहा कि एक साथ चुनाव कराने पर निर्वाचन आयोग से 2015 में अपना रुख बताने को कहा गया था।