आलोक वर्मा को कुर्सी मिली पर सुप्रीम कोर्ट ने बांधे हाथ, जानिए फैसले की 10 बड़ी बातें

Edited By Seema Sharma,Updated: 08 Jan, 2019 02:04 PM

alok verma gets a chair but supreme court tied his hands

सुप्रीम कोर्ट ने आज आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक पद पर बहाल करते हुए उनके अधिकार वापस लेने और छुट्टी पर भेजने के केन्द्र के फैसले को रद्द कर दिया। भले ही कोर्ट वर्मा को उनकी कुर्सी वापिस दिलवा दी

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने आज आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक पद पर बहाल करते हुए उनके अधिकार वापस लेने और छुट्टी पर भेजने के केन्द्र के फैसले को रद्द कर दिया। भले ही कोर्ट वर्मा को उनकी कुर्सी वापिस दिलवा दी लेकिन सीबीआई निदेशक पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जब तक केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की जांच पूरी नहीं होती, तब तक वर्मा पर कोई भी बड़ा निर्णय लेने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि वर्मा के खिलाफ आगे कोई भी निर्णय सीबीआई निदेशक का चयन एवं नियुक्ति करने वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति द्वारा लिया जाएगा। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस.के. कौल और जस्टिस के.एम. जोसेफ की पीठ ने यह फैसला सुनाया। वर्मा का सीबीआई निदेशक के तौर पर दो वर्ष का कार्यकाल 31 जनवरी को पूरा हो रहा है। चीफ जस्टिस आज छुट्टी पर थे जिसके चलते जस्टिस कौल और जस्टिस जोसेफ ने ही इस मामले में फैसला सुनाया।
 

कोर्ट के फैसले की 10 बातें

  • जस्टिस कौल ने वर्मा पर अपना फैसला सुनाते हुए ‘विनीत नारायण एवं अन्य बनाम भारत सरकार’ मामले का जिक्र किया। पीठ ने कहा कि विनीत नारायण मामले में कोर्ट की ओर से दिशा-निर्देश जारी करने का उद्देश्य सीबीआई निदेशक को राजनीतिक हस्तक्षेप से संरक्षित रखना है।
     
  • सरकार को कानून के तहत सीबीआई चीफ आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने का कोई अधिकार नहीं है, सिर्फ सेलेक्ट कमेटी के पास ही ये अधिकार है।
     
  • हाई पावर सेलेक्ट कमेटी में प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और लोकसभा में नेता विपक्ष होंगे। ये कमेटी एक हफ्ते केअंदर वर्मा पर कार्रवाई पर फैसला ले।
     
  • ट्रांसफर शब्द की व्याख्या करते हुए कोर्ट ने कहा कि इस शब्द का कोई संकुचित अर्थ नहीं होता, बल्कि इसे उन सभी कार्यों से विलग करने के तौर पर समझा जाना चाहिए जो सीबीआई निदेशक के कामकाज को प्रभावित करते हैं।
     
  • वर्मा ने जांच एजेंसी के निदेशक के पद से उन्हें छुट्टी पर भेजे जाने के सीवीसी और डीओपीटी के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी।
     
  • एम नागेश्वर राव की सीबीआई के अंतरिम प्रमुख के तौर पर नियुक्ति रद्द की।
     
  • सीवीसी जांच पूरी होने तक आलोक वर्मा पर कोई भी बड़ा निर्णय लेने पर रोक।
     
  • आलोक वर्मा पर जो आरोप लगाए गए हैं और उनपर जो भी जांच चल रही है, वह सभी जारी रहेंगे।
     
  • अगर आलोक वर्मा के खिलाफ किसी एक्शन की जरूरत होती है तो उस पर फैसला हाई पावर सेलेक्ट कमेटी ही करेगी।
     
  • इस फैसले के साथ ही सीबीआई में अब सभी पद पहले की तरह ही हो जाएंगे. यानी आलोक वर्मा सीबीआई चीफ, राकेश अस्थाना सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर तैनात होंगे।

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उल्लेखनीय है कि पीठ ने पिछले साल 6 दिसंबर को वर्मा की याचिका पर विभिन्न पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। पीठ ने गैर सरकारी संगठन कॉमन कॉज की याचिका पर भी सुनवाई की थी। इस संगठन ने कोर्ट की निगरानी में विशेष जांच दल (एसआईटी) से सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना सहित तमाम अधिकारियों के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कराने का अनुरोध किया था।
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सीबीआई के दोनों शीर्ष अधिकारियों के बीच छिड़ी जंग सार्वजनिक होने के बाद सरकार ने पिछले साल 23 अक्टूबर को दोनों अधिकारियों को उनके अधिकारों से वंचित कर अवकाश पर भेजने का निर्णय लिया था। दोनों अधिकारियों ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। केन्द्र ने इसके साथ ही ब्यूरो के संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को जांच एजेन्सी के निदेशक का अस्थाई कार्यभार सौंप दिया था।

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