जानिए, सऊदी तेल कंपनी पर हुए हमले का भारत पर क्या होगा असर

Edited By Ravi Pratap Singh,Updated: 19 Sep, 2019 01:52 PM

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सऊदी अरब में कच्चे तेल की रिफाइनरी पर हुए हमले के बाद तेल के कुओं की आग बुझने में अभी समय लग सकता है। वहीं, कुओं में आग लगने के बाद अरामको से कच्चे तेल की सप्लाई कम हो गयी है जिसका असर सारी दुनिया में तेल की कीमत पर पड़ रहा है जिससे भारत भी अछूता...

नेशनल डेस्कः सऊदी में यमन के हूती विद्रोहियों के हमले के बाद अभी भी तेल के कुएं आग में जल रहे हैं जिसकी धधक से दुनिया भर में तेल की कीमतें बढ़ने की आशंका है। भारत में भी इस का असर देखने को मिल सकता है। भारत दुनिया में कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता देश है। भारत अपनी ज़रूरत का 80% कच्चा तेल आयात करता है। सऊदी अरब कच्चे तेल, रसोई गैस के मामले में भारत का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्ति कर्ता है।

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सऊदी अरब की तेल कंपनी पर हुए हमले को लेकर अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पेओ ने एक ट्वीट कर हमले के पीछे ईरान का हाथ बताया। उन्होंने कहा कि सऊदी अरब पर क़रीब सौ हमलों के पीछे ईरान का हाथ है। ईरान ने अब दुनिया की तेल सप्लाई पर हमला किया है। इस बात के सबूत नहीं है कि हमला यमन की ओर से हुआ है। इस बीच ईरान ने अमेरिका के इन आरोपों का सिरे से खंडन कर दिया है। उसने इन आरोपों को बेबुनियाद और अर्थहीन बताया है। इस बीच सभी की निगाहें तेल की क़ीमतों पर लगी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में तेल की कीमतें 10 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ सकती हैं। अगर ऐसा हुआ तो भारत के तेल आयात पर इसका बोझ पड़ना तय है।

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ईरान के साथ दोस्ताना संबंध भारत की अर्थव्यवस्था और सामरिक हितों के लिए है जरूरी
भारत में करीब 12% कच्चा तेल सीधे ईरान से खरीदता था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक गत वर्ष भारत ने ईरान से करीब सात अरब डॉलर के कच्चे तेल का आयात किया था। ईरान के पास विशाल प्राकृतिक गैस और तेल का भंडार है। भारत अपनी ऊर्जा जरूरत के लिए विदेशों पर निर्भर है। इसमें ईरान भी शामिल है। भारत और ईरान के बीच दोस्ती के मुख्य रूप से दो आधार हैं। एक भारत की ऊर्जा ज़रूरतें हैं और दूसरा ईरान के बाद दुनिया में सबसे ज़्यादा शिया मुस्लिम भारत में हैं। भारत ने हाल ही में ईरान में स्थित चाबहार पोर्ट को विकसित करने का जिम्मा उठाया है जिससे भारत को अफगानिस्तान पहुंचने के लिए अब पाकिस्तान पर निर्भर होने की जरुरत नहीं होगी। हाल के वर्षों में अफगानिस्तान में भारत ने अपनी मौजूदगी बढ़ाई है जिसके कारण चाबहार पोर्ट सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हो जाता है।

भारत ईरान से खरीदे तेल का भुगतान रुपये में करता है। इससे भारत को विदेशी मुद्रा भंडार बचाने में मदद होती है। इराक और सऊदी अरब के बाद ईरान भारत को तेल निर्यात करने वाले देशों में तीसरे स्थान पर आता है। ईरान के साथ दोस्ताना संबंध भारत की अर्थव्यवस्था और सामरिक हितों के लिए बहुत जरूरी है। ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते फिलहाल भारत ईरान से तेल ना के बराबर आयात कर रहा है। वहीं, अमेरिका का कहना है कि वह ईरान पर लगाए गए तेल प्रतिबंधों को लेकर भारत जैसे अच्छे मित्र और साझीदार के सहयोग से काफी संतुष्ट एवं खुश हैं।

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ईरान-अमेरिका की तल्खी करती है भारत को प्रभावित
ईरान और अमेरिका में बढ़ते तनाव के बीच राष्ट्रपति रूहानी ने कहा था कि अगर अमेरिका हमें धमकाना बंद कर सभी प्रतिबंधों को हटा दे तो हम बातचीत के लिए तैयार हैं। इसके साथ ही अगर अमेरिका कोई हिमाकत करता है तो ईरान अब किसी भी कार्रवाई का मुंडतोड़ जवाब देगा। अमेरिका साल 2018 में ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते से एक तरफा बाहर हो गया था। इसके अलावा उसने ईरान पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध भी लगा दिए थे।

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बहरहाल, सऊदी में तेल के कुओं में लगी आग का असर भारत और ईरान के रिश्तों के साथ साथ भारत की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है हालांकि यह भी सच है कि ईरान के साथ भारत के रिश्ते और मजबूत तभी हो सकते हैं जब अमेरिका ईरान को लेकर कोई सकारात्मक पहल करे। क्योंकि दोनों देशों की तल्खी करती है भारत को प्रभावित।

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