अमित शाह की देशवासियों से अपील, मातृभाषा के साथ-साथ हिंदी का भी करें उपयोग

Edited By Seema Sharma,Updated: 14 Sep, 2020 03:13 PM

amit shah appeal to countrymen use hindi along with mother tongue

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आज देशवासियों का आह्वान किया कि वे अपनी मातृभाषा के साथ-साथ हिंदी का भी अधिक से अधिक प्रयोग कर उसके संरक्षरण और संवर्धन में योगदान देने का संकलप लें। शाह ने हिन्दी दिवस के मौके पर अपने वीडियो संदेश में देशवासियों को...

नेशनल डेस्क: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आज देशवासियों का आह्वान किया कि वे अपनी मातृभाषा के साथ-साथ हिंदी का भी अधिक से अधिक प्रयोग कर उसके संरक्षरण और संवर्धन में योगदान देने का संकलप लें। शाह ने हिन्दी दिवस के मौके पर अपने वीडियो संदेश में देशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मैं देशवासियों का आह्वान करता हूं कि अपनी मातृभाषा के साथ साथ हिंदी का अधिक से अधिक प्रयोग कर उनके संरक्षण व संवर्धन में अपना योगदान देने का संकल्प लें। उन्होंने कहा कि अनेक भाषाएं एवं संस्कृतियां हमारी न केवल विरासत हैं हमारी ताकत भी हैं, इसलिए हमें इनको आगे बढ़ाना है।

 

शाह ने कहा कि सांस्कृतिक व भाषाई विविधता से भरे, इस गौरवशाली देश में- पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण के बीच, सदियों से, कई भाषाओं ने संपर्क बनाए रखने का काम किया है। हिंदी इसमें प्रमुख भाषा रही है और ये योगदान जो हिंदी का है इसको देश के कई नेताओं ने समय-समय पर सराहा है और हिंदी ने भारत को एकता के सूत्र में पिरोने का काम किया है। केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि हिंदी भाषा और बाकी सारी भारतीय भाषाओं ने मिलकर भारत की सांस्कृतिक विविधता को आगे ले जाने में बहुत बड़ा योगदान दिया है। हिंदी के साथ बृज, बुंदेलखंडी, अवधी, भोजपुरी, अन्य भाषाएं और बोलियां इसका उदाहरण हैं।

 

हिंदी देश के स्वतंत्रता संग्राम के समय से राष्ट्रीय एकता और अस्मिता का प्रभावी व शक्तिशाली माध्यम रही है। हिंदी की सबसे बड़ी शक्ति इसकी वैज्ञानिकता, मौलिकता, सरलता, सुबोधता और स्वीकार्यता भी है। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा की विशेषता है कि इसमें जो बोला जाता है, वही लिखा जाता है। हिंदी की इन विशेषताओं एवं सर्वग्राह्यता को ध्यान में रखते हुए भारतीय संविधान सभा ने 14 सितंबर, 1949 को हिंदी को संघ की राजभाषा के रूप में अंगीकार किया। शाह ने कहा कि हिंदी भाषा ने बाकी स्थानीय भाषाओं को भी बल देने का प्रयास किया है। हिंदी हर राज्य की भाषा को ताकत देती है।

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