Edited By Seema Sharma,Updated: 15 May, 2018 12:24 PM
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का देश पर जादू बरकरार है और इसका ताजा उदाहरण कर्नाटक चुनाव है। रूझानों में भाजपा को बहुमत मिल रहा और राज्य में भाजपा की सरकार बन रही है। इससे पहले गुजरात और हिमाचल में भी भगवा ने कमाल दिखाया था। भले ही कहा जा रहा है कि मोदी...
नेशनल डेस्कः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का देश पर जादू बरकरार है और इसका ताजा उदाहरण कर्नाटक चुनाव है। रूझानों में भाजपा को बहुमत मिल रहा और राज्य में भाजपा की सरकार बन रही है। इससे पहले गुजरात और हिमाचल में भी भगवा ने कमाल दिखाया था। भले ही कहा जा रहा है कि मोदी की रैलियों ने कर्नाटक में तस्वीर बदली लेकिन असल मायनों में अमित शाह की एक चाल ने कर्नाटक को भाजपा की झोली में गिरा दिया। भाजपा ने गुजरात में जिन चुनौतियों का सामना किया था और छोटी-छोटी बातें जो राज्य में उनके सामने आई थीं, उनको शाह ने कर्नाटक में नजरअंदाज नहीं किया। शाह ने अपने सबसे सफल पन्ना प्रमुख फॉर्मूले को कर्नाटक में भी लागू किया। शाह इससे पहले इसका इस्तेमाल यूपी चुनाव में कर चुके हैं। फर्क इतना है कि शाह ने अपने फॉर्मूले को कर्नाटक में दो हिस्सों में बांटा- पन्ना और अर्द्ध पन्ना प्रमुख।
क्या है पन्ना प्रमुख फॉर्मूला
शाह का पन्ना प्रमुख फॉर्मूला में राज्य के हर पुलिंग बूथ में प्रमुख नियुक्त किए जाते हैं। हालांकि कर्नाटक में अर्द्ध पन्ना प्रमुखों के ऊपर पन्ना प्रमुख को रखा गया था। उसके ऊपर बूथ प्रमुख फिर एरिया प्रमुख। इन सभी के लिए 500 से ज्यादा सांसद और एमएलए को ड्यूटी पर लगाया गया था। साथ ही निचले स्तर के कार्यकर्त्ताओं को भी मंत्रियों के साथ जोड़ा गया ताकि राज्य में जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़ा जा सके। शाह ने राज्य राज्य के 56,696 पोलिंग बूथों पर करीब 10 लाख अर्द्धपन्ना प्रमुख तैनात किए गए। शाह का यह फॉर्मूला काम कर गया।