Edited By Naresh Kumar,Updated: 14 Jan, 2019 04:40 PM
लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश की 2 बड़ी क्षेत्रीय पार्टियों बसपा और सपा द्वारा गठबंधन की घोषणा से उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के भी सियासी समीकरण बदल सकते हैं।
नेशनल डेस्कः लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश की 2 बड़ी क्षेत्रीय पार्टियों बसपा और सपा द्वारा गठबंधन की घोषणा से उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के भी सियासी समीकरण बदल सकते हैं। यदि चुनाव के दौरान इन दोनों पार्टियों का वोट एक-दूसरे को सही तरीके से ट्रांसफर हुआ तो भाजपा को देश के सबसे बड़े प्रदेश में 39 सीटों का घाटा हो सकता है। भाजपा ने पिछले चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश की 80 में से 71 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि उसकी सहयोगी पार्टी अपना दल को 2 सीटें हासिल हुई थीं।
सपा 5 सीटों पर चुनाव जीती थी जबकि कांग्रेस को उसकी पारम्परिक रायबरेली व अमेठी 2 ही सीटें हासिल हो सकी थीं। 2014 के चुनाव नतीजों का विश्लेषण किया जाए तो पिछले चुनाव के दौरान 39 सीटें ऐसी थीं जिन पर बसपा और सपा का वोट भाजपा को मिले कुल वोट से ज्यादा था। यदि इस चुनाव में यह वोट कायम रहा तो भाजपा को उत्तर प्रदेश में बड़ा नुक्सान होगा। 2014 के चुनाव नतीजों के आधार पर यह जानने की कोशिश करते हैं कि भाजपा के लिए किन सीटों पर मुसीबत बढ़ सकती है।