दिल्ली के गुरुद्वारों में बायोगैस से बनेगा लंगर

Edited By shukdev,Updated: 22 Sep, 2018 05:46 PM

anchor will be made from biogas in the gurdwaras of delhi

दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी ने बंगला साहिब और रकाबगंज गुरुद्वारा सहित यहां के 10 गुरुद्वारों में पाइप लाइन की प्राकृतिक गैस के बजाय बायोगैस से लंगर बनाने की योजना बनाई है। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी (डीएसजीएमसी) के अध्यक्ष मनजीत सिंह...

नई दिल्ली: दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी ने बंगला साहिब और रकाबगंज गुरुद्वारा सहित यहां के 10 गुरुद्वारों में पाइप लाइन की प्राकृतिक गैस के बजाय बायोगैस से लंगर बनाने की योजना बनाई है। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी (डीएसजीएमसी) के अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने बताया कि इसका मुख्य उद्देश्य कार्बन उत्सर्जन कम करना, ईंधन के खर्च में कमी लाना और गुरुद्वारों को पर्यावरण हितैषी बनाना है। सिंह ने बताया कि शुरुआत में रकाबगंज और बंगला साहिब में बायो गैस संयंत्र स्थापित किया जाएगा, क्योंकि इन दोनों गुरुद्वारों से भारी मात्रा में बायोडिग्रेडेबल अपशिष्ट निकलता है।

उन्होंने बताया कि इन गुरुद्वारे के लंगर में हर दिन यहां आने वाले करीब 30000 श्रद्धालुओं को लंगर खिलाया जाता है। प्रत्येक संयंत्र में प्रतिदिन चार कुंतल रसोई के कचरे का प्रबंधन करने की क्षमता होगी। सिंह ने बताया कि बायोगैस संयंत्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध कार्बनिक कचरा कन्वर्टर कंपनी के साथ मिलकर स्थापित किया जाएगा और इसके लिए कंपनियों की सामाजिक जिम्मेदारी के तहत धन बहुराष्ट्रीय कंपनी द्वारा दिया जाएगा।

डीएसजीएमसी की अक्षय ऊर्जा प्रकोष्ठ के प्रमुख हरजीत सिंह ने बताया कि चरणबद्ध तरीके से शेष आठ गुरुद्वारे के लंगर की रसोई को भी 2019 तक बायो ईंधन से संचालित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इन संयंत्रों के संचालन की लागत बहुत कम होगी और शुरुआत के दो सालों में रखरखाव की आवश्यकता नहीं होगी। एक दफा स्थापित होने के बाद इनका संचालन करना बेहद आसान होगा। 

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