Edited By Yaspal,Updated: 29 Jun, 2020 08:02 PM
भारत-भूटान के संयुक्त उपक्रम वाली 600 मेगावाट की खोलांगछू पनबिजली परियोजना के लिये सोमवार को करार पर दस्तखत हुए। इस करार पर दस्तखत के साथ ही इसके निर्माण और अन्य संबंधित कार्यों के लिये रास्ता साफ हो गया। भूटानी सरकार और खोलांगछू हाइड्रो एनर्जी...
नई दिल्लीः भारत-भूटान के संयुक्त उपक्रम वाली 600 मेगावाट की खोलांगछू पनबिजली परियोजना के लिए सोमवार को करार पर दस्तखत हुए। इस करार पर दस्तखत के साथ ही इसके निर्माण और अन्य संबंधित कार्यों के लिये रास्ता साफ हो गया। भूटानी सरकार और खोलांगछू हाइड्रो एनर्जी लिमिटेड के बीच परियोजना के लिये समझौते पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनके भूटानी समकक्ष टांडी दोरजी की डिजिटल उपस्थिति में दस्तखत किए गए।
विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी एक बयान में यह जानकारी दी गई। इसमें कहा गया, “इस समझौते पर हस्ताक्षर से भारत और भूटान के बीच पहली पनबिजली परियोजना के इस संयुक्त उपक्रम का निर्माण और अन्य गतिविधियां शुरू होंगी। इस परिजोयना के 2025 के उत्तरार्ध में पूरा होने की उम्मीद है।” पूर्वी भूटान के त्राशियांगत्से जिले में खोलांगछू नदी के निचले हिस्से में 600 मेगावाट की यह परियोजना शुरू होगी।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस परियजोना के तहत चार 150 मेगावाट के भूमिगत टर्बाइन वाला बिजलीघर स्थापित किया जाएगा और 95 मीटर की ऊंचाई वाले बांध से यहां पानी पहुंचाया जाएगा। बयान में कहा गया कि भूटान की ड्रुक ग्रीन पावर कॉर्पोरेशन (डीजीपीसी) और भारत के सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड (एसजेवीएनएल) के बीच संयुक्त उपक्रम की कंपनी खोलांगछू हाइड्रो एनर्जी लिमिटेड द्वारा यह परियोजना संचालित की जाएगी।
जयशंकर ने कहा कि यह भूटान में लागू की जाने वाली पहली संयुक्त उपक्रम परियोजना है। दोनों साझेदारों- एसजेवीएनएल और डीजीपीसी को इस उल्लेखनीय कदम के लिए बधाई। उन्होंने इस समझौते को ‘मील का पत्थर' करार देते हुए कहा कि परियोजना की निर्माण गतिविधियों के शुरू होने से इस जटिल वक्त में भूटान में आर्थिक व रोजगार के अवसर पैदा होंगे। महामारी का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा, “दोनों देश मिलकर इस वैश्विक महामारी से लड़ रहे हैं।
भारत सरकार ने भूटान को चिकित्सा उपकरणों, किटों और दवाओं को भूटान की शाही सरकार की जरूरतों के मुताबिक उपलब्ध कराया है।” उन्होंने कहा, “विकास की दिशा में हमारी साझेदारी को जारी रखने के अलावा हमनें यह भी सुनिश्चित किया कि लॉकडाउन के बावजूद भूटान को आवश्यक सामग्री और अन्य वस्तुओं की आपूर्ति होती रहे।”