Edited By Seema Sharma,Updated: 25 Jan, 2019 08:49 AM
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गुरुवार देर रात दो उपग्रहों के साथ पीएलएलवी-सी44 का श्रीहरिकोटा केंद्र से सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। इसरो का यह इस साल का पहला मिशन है
श्रीहरिकोटा: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गुरुवार देर रात दो उपग्रहों के साथ पीएलएलवी-सी44 का श्रीहरिकोटा केंद्र से सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। इसरो का यह इस साल का पहला मिशन है जिसमें 700 किलोग्राम वजनी इमेजिंग सैटेलाइट माइक्रोसेट आर और कलामसेट उपग्रह शामिल है। इसरो की इस सफलता पर पीएम मोदी ने वैज्ञानिकों को बधाई दी है। प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, छात्रों द्वारा बनाए गए इस उपग्रह का लॉन्च होना भारत के लिए गर्व का विषय है। इसरो की इस उपलब्धि पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी बधाई दी। यह प्रक्षेपण इस लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रक्षेपण वाहन पीएसएलवी परीक्षण के लिए अंतरिक्ष में रहेगा।
माइक्रोसेट आर उपग्रह का इस्तेमाल रक्षा शोध एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के लिए किया जाएगा। दोनों उपग्रहों को लेकर प्रक्षेपण वाहन ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के प्रथम लांच पैड से रात 11 बजकर 37 मिनट पर उड़ान भरी। पीएसएलवी-सी44 को एक महीने के रिकार्ड समय में तैयार किया गया। मिशन नियंत्रण केंद्र पर वैज्ञानिकों ने पीएसएलवी-सी44 की उड़ान का अवलोकन किया। इसरो के चैयरमैन डॉ. के. शिवन ने मिशन नियंत्रण केंद्र पर वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कहा कि यह इसरो के लिए वर्ष 2019 की बहुत बड़ी उपलब्धि है।
डॉ. शिवन ने कहा कि दो उपग्रहों को निर्धारित कक्षा में स्थापित कर दिया गया। कलामसेट उपग्रह के बारे में उन्होंने कहा कि यह एक शानदार पहल है क्योंकि कलामसेट को विद्यार्थियों और स्पेसकिड्स ने मिलकर बनाया है। इसके लिए मैं उन्हें बधाई देता हूं। कुल 44.4 मीटर लंबा पीएसएलवी- सी44 अपने साथ इमेजिंग सैटेलाइट माइक्रोसेट-आर को भी लेकर गया। उड़ान भरने के 830 सैकेंड बाद दोनों उपग्रहों को कक्षाओं में स्थापित कर दिया गया। पीएलएलवी-सी44, पीएसएलवी-डीएल का पहला मिशन है और यह पीएलएसवी का नया संस्करण है।