दरियाओं और खड्डों के किनारे खानाबदोशों के डेरे बन रहे हैं पशु तस्करों के मुख्यालय

Edited By Monika Jamwal,Updated: 10 Dec, 2018 06:27 PM

animal smuggling in kathua

पड़ोसी राज्य पंजाब से गोवंश के लिए रियासत जम्मू कश्मीर में जारी पशु तस्करी के मामलों पर पूरी तरह से रोक लगाने में जिला पुलिस नाकाम साबित हो रही है।

कठुआ (गुरप्रीत) : पड़ोसी राज्य पंजाब से गोवंश के लिए रियासत जम्मू कश्मीर में जारी पशु तस्करी के मामलों पर पूरी तरह से रोक लगाने में जिला पुलिस नाकाम साबित हो रही है। यही कारण है कि आए दिन तस्करी के मामलों को अंजाम देने का काम तस्कर करते हैं जो प्रयास पुलिस विफल कर देती है वो तो सामने आ जाते हैं लेकिन जो प्रयास सफल होते हैं , उनका रिकार्ड में आना स्वभाविक नहीं होगा। रियासत में इसपर प्रतिबंध के बावजूद तस्कर ज्यादा मुनाफे और कम रिस्क देखते हुए समय समय पर विभिन्न रूटों पर दबिश देते हैं।

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अधिकतर मामले रावी दरिया मार्ग से मग्गर खड्ड या फिर जराई मार्ग, भागथली, नगरी इलाके से सामने आते हैं। यूं कहां जाए कि तस्कर इन्हीं रूटों को सुरक्षित समझते हैं तो यह भी शायद गलत नहीं होगा। यही नहीं अब तो दरियाओं, खड्डों के किनारे बसे अस्थायी खानाबदोशों के डेरों भी एक तरह से तस्करों का मुख्यालय बन गए हैं। यहां से एक-एक कर पहले मवेशियों को एकत्रित किया जाता है जिसके बाद ट्रक में इन्हें लादकर कश्मीर की ओर ले जाने के प्रयास होते हैं। हालांकि कई संभावित रूटों पर पुलिस ने गड्ढे डाल रखे हैं लेकिन कई रूट ऐसे हैं जिससे तस्कर सीधा आकर जम्मू पठानकोट राजमार्ग से जुड़ जाते हैं। जिनमें से लखनपुर क्षेत्र में रावी दरिया से शमशान घाट मार्ग, जगतपुर इलाका आदि शामिल है। यही नहीं कई बार तो तस्करी के प्रयास सीधे नेशनल हाइवे से होता है। हीरानगर क्षेत्र का कोटपुन्नू के इलाके सहित पंजाब से यहां भी सीमा लगती है या फिर जिन स्थानों पर खानाबदोशों के अस्थायी डेरे हैं, वहां से तस्करी के प्रयासों को अंजाम दिया जाता है। 
 
पहले भी गाडिय़ों को आग के हवाले कर चुके हैं लोग 
कठुआ :  तस्करी के लिप्त तस्करों के ट्रकों को भी लोग कई बार आग के हवाले कर चुके हैं। ताजा मामला हीरानगर के पथवाल में गत सप्ताह सामने आया था। यहां ट्रक को आग के हवाले कर दिया गया था। यही नहीं इससे पहले कठुआ के गोल्डन गेट इलाके, बाइपास मार्ग, जगतपुर मार्ग पर भी तसकरों के ट्रकों को अज्ञात लोगों द्वारा फूंका जा चुका है। इन प्रयासों के बाद तस्करी के मामलों पर पहले थोड़ी रोक लगी थी लेकिन अब धीरे धीरे पशु तस्करी के मामले सामने आ ही रहे हैं। नवंबर माह में हालांकि मामले कम सामने आए हैं इसकी एक वजह पंचायती एवं निकाय चुनावों के चलते पुलिस की व्यस्तता भी हो सकती है। 

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चौकियों, थानों में फिर से फिट हो गई पुरानी गोटियां 
कठुआ : तत्कालीन जिला पुलिस प्रमुख नीवा जैन के कार्यकाल में तमाम तस्करी के प्रयासों पर रोक लगाने के लिए उचित प्रयास हो पाए थे। यही नहीं पशु तस्करी, नशीले पदार्थों की तस्करी के गंभीर परिणामों को देखते हुए पुलिस प्रमुख ने उस समय थानों, चौकियों के स्टाफ में भी तब्दीली की थी। सूत्रों की मानें तो कई मुलाजिम जोकि तस्करों के  साथ मिलीभगत मामलों में पुलिस अधिकारियों के लिए संजीवनी का काम करते थे, उन्होंने अपनी बदली तक अन्य जिलों में करवा ली थी  परंतु जिला कठुआ से होने वाली तस्करी को लेकर उनकी रुचि उस समय भी साफ थी। यही नहीं पुलिस विभाग में तैनात एस.पी.ओज का भी तबादला कर उन्हें पहाड़ी इलाकों की ओर भेजा गया था। परंतु तत्कालीन जिला पुलिस प्रमुख के तबादले के बाद थानों, चौकियों में फिर से वही पुरानी गोटियां सेट हो गई हैं। सूत्रों की मानें तो यही पुरानी गोटियां तमाम अवैध काले कारोबारियों के जानकार हैं। कई तो तस्करों के संपर्क में भी रहे हैं और तस्करी मामलों को झंडी दिखाने के साथ साथ अपना स्वार्थ भी सिद्ध कर लेते हैं। ऐसे में अधिकारियों को भी इनकी निशानदेही करनी होगी और असामाजिक तत्वों एवं ऐसे तस्करों पर शिकंजा कसने के लिए प्रयास करने होंगे। PunjabKesari


करोड़ों में है यह अवैध काला कारोबार!
गोवंश के लिए पशु तस्करी का यह काला कारोबार करोड़ों में जाता है। यही कारण है कि कई बार पकड़े जाने के बावजूद तस्कर इसी धंधे से हटने का नाम नहीं लेते। सूत्रों की मानें तो औने पौने दामों में मवेशियों को खरीद कर तस्करी के लिए यह लोग कश्मीर तक ले जाते हैं और अगर गाड़ी सही सलामत कश्मीर पहुंच जाए तो वहां उन्हें इसके बदले दो से अढ़ाई लाख रुपये की राशि मिलती है। इतना नेटवर्क भी इतना मजबूत है कि पहले रूटों पर रेकी होती है जिसके बाद सिगनल मिलती की गाड़ी को हाइवे तक ले जाने के प्रयास होते हैं। कई बार तो स्थानीय लोग पशु तस्करी मामले को लेकर पुलिस के साथ मिलीभगत के आरोप भी लगा चुके हैं। इस धंधे में तस्करों को बेहतर मुनाफा होने को लेकर ही इनके हौंसले इतने बुलंद है कि इनके काम में रोड़ा बनने वालों को निशाना बनाने से भी यह नहीं चूकते। यही नहीं गत तीन वर्ष पहले तस्करों ने हीरानगर इलाके में पुलिस नाके के दौरान पुलिस कर्मियों से मारपीट करने के साथ साथ उनके हथियार तक छीन लिए थे। गत चार वर्ष पहले तस्करों ने बिना किसी की परवाह करते हुए बेडिया पतन इलाके मे नाके के दौरान पुलिस जिप्सी को निशाना बनाते हुए रौंद डाला था जबकि मौके से फरार होने में सफल हो गए थे। ऐसे में जाहिर है कि पुलिस की परवाह किए बिना अगर यह तस्कर नाका तक रौंदने की हिम्मत रखते हैं तो फिर इस धंधे में काली कमाई कितनी होगी। PunjabKesari
 
पुलिस द्वारा विफल पशु तस्करी के प्रयासों का आंकडा
तारीख एवं माह       मवेशी मुक्त              चौकी, थाना पुलिस
- 3 अगस्त 2018          16               लखनपुर पुलिस।
-11 अगस्त               16               राजबाग पुलिस। 
-16 अगस्त                9                  राजबाग पुलिस।
-27 अगस्त                6                  मढ़ीन पुलिस।
-29 अगस्त                10                 हरियाचक पुलिस।
-6 सितंबर                13                   हीरानगर पुलिस।
-11 सितंबर               5                    हटली पुलिस। 
-21 सितंबर                7                     कठुआ पुलिस। 
-5 अक्तूबर                5                      नगरी पुलिस। 
-7 अक्तूबर                10                     चड़वाल पुलिस।
-19 अक्तूबर               9                      मढ़ीन पुलिस।
-30 अक्तूबर              25                        मढ़ीन पुलिस।        
-4 नवंबर                  3                       हरियाचक पुलिस। 
इसके अलावा पथवाल में लोगों द्वारा गत दिनों प्रयास विफल कर ट्रक को आग के हवाले किया था। यह आंकड़ा पुलिस द्वारा विफल किए गए प्रयासों का है। ऐसे में जाहिर है कि अगर प्रयास विफल होते हैं तो फिर तस्कर बार बार प्रयासों को आखिर क्यों अंजाम देते हैं। 

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पुलिस की सफाई
पशु तस्करोंं पर शिकंजा कसने के लिए पुलिस पहले से ही अलर्ट है। रात के समय तस्करों के संभावित रूटों पर टाइट नाकेबंदी की होती है। तस्करों से निपटने एवं प्रयासों को विफल करने के लिए पुलिस हर संभव प्रयास करती है.........श्रीधर पाटिल, जिला पुलिस प्रमुख कठुआ। 
 

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