Edited By Yaspal,Updated: 22 Aug, 2019 07:10 PM
मुस्लिम समुदाय में प्रचलित एक बार में तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने संबंधी कानून की वैधता को चुनौती देते हुये उच्चतम न्यायालय में एक नयी याचिका दायर की गयी है। इस कानून के तहत ऐसा करने के जुर्म में दोषी को तीन साल...
नई दिल्लीः मुस्लिम समुदाय में प्रचलित एक बार में तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने संबंधी कानून की वैधता को चुनौती देते हुये उच्चतम न्यायालय में एक नयी याचिका दायर की गयी है। इस कानून के तहत ऐसा करने के जुर्म में दोषी को तीन साल तक की कैद की सजा हो सकती है। इस कानून की वैधता को चुनौती देने वाली नयी याचिका जमीयत उलमा-ए-हिन्द ने दायर की है।
याचिका में कहा गया है कि इस कानून से संविधान के प्रावधानों का कथित रूप से उल्लंघन होता है। याचिका में मुस्लिम महिला (विवाह में अधिकारों का संरक्षण) कानून, 2019 को अंसवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया गया है।
वकील एजाज मकबूल के माध्यम से दायर इस याचिका में दावा किया गया है कि चूंकि मुस्लिम शौहर द्वारा बीवी को इस तरह से तलाक देने को पहले ही ‘अमान्य और गैरकानूनी' घोषित किया जा चुका है, इसलिए इस कानून की कोई जरूरत नहीं है।
इससे पहले, केरल में सुन्नी मुस्लिम विद्वानों और धार्मिक नेताओं के संगठन ‘समस्त केरल जमीयुल उलेमा' ने इस कानून को असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध करते हुये इसकी संवैधानिकता को चुनौती दी थी।