मुस्लिमों में बहुविवाह के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में एक और याचिका

Edited By Pardeep,Updated: 07 May, 2018 10:27 PM

another petition in the supreme court against polygamy in muslims

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को एक महिला की उस नई याचिका पर नोटिस जारी किया जिसमें मुसलमानों के बीच प्रचलित बहुविवाह और निकाह हलाला प्रथाओं को असंवैधानिक घोषित किए जाने का अनुरोध किया गया है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर...

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को एक महिला की उस नई याचिका पर नोटिस जारी किया जिसमें मुसलमानों के बीच प्रचलित बहुविवाह और निकाह हलाला प्रथाओं को असंवैधानिक घोषित किए जाने का अनुरोध किया गया है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और न्यायमूर्ति डी वाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने रानी उर्फ शबनम की याचिका पर केंद्र और अन्य से जवाब मांगा। 

इस याचिका में बहुविवाह और निकाह हलाला के चलन को चुनौती दी गई है। महिला के पति ने दूसरी शादी कर ली और उसके बाद उसे तथा उसके तीन नाबालिग बच्चों को घर से निकाल दिया था। पीठ ने वरिष्ठ वकील शेखर नफाडे और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की दलीलें सुनने के बाद इस याचिका को उन याचिकों के साथ नत्थी करने का आदेश दिया जिन पर पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ सुनवाई करेगी। 

उच्चतम न्यायालय ने 28 मार्च को उन याचिकाओं को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को सौंप दिया था जिनमें मुसलमानों के बीच प्रचलित बहुविवाह और निकाह हलाला प्रथाओं की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई थी। रानी ने अपनी याचिका में अपने जीवन के घटनाक्रम का जिक्र किया और कहा कि उसकी शादी आठ फरवरी 2010 को मुजम्मिल नामक एक व्यक्ति से शरीयत के मुताबिक हुई थी। उसके दो पुत्र और एक पुत्री हुई। उसने कहा कि उसके माता - पिता ने शादी में करीब पांच लाख रुपए खर्च किए थे। बाद में उसके पति ने दूसरी शादी कर ली और उसे परेशान करने लगा तथा घर से बाहर जाने के लिए बाध्य कर दिया।      

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