आतंक रोधी कानून गुजरात में हुआ लागू, सात लोगों पर FIR दर्ज

Edited By shukdev,Updated: 15 Jan, 2020 08:53 PM

anti terror law implemented in gujarat fir registered on seven people

गुजरात आतंकवाद एवं संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (जीसीटीओसी) के तहत पहले मामले में पुलिस ने सात लोगों पर रंगदारी में प्राथमिकी दर्ज की है। पुलिस ने बुधवार को यह जानकरी दी। एक अधिकारी ने बताया कि गैंगस्टर विशाल गोस्वामी और उसके छह सहयोगियों के खिलाफ...

अहमदाबाद: गुजरात आतंकवाद एवं संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (जीसीटीओसी) के तहत पहले मामले में पुलिस ने सात लोगों पर रंगदारी में प्राथमिकी दर्ज की है। पुलिस ने बुधवार को यह जानकरी दी। एक अधिकारी ने बताया कि गैंगस्टर विशाल गोस्वामी और उसके छह सहयोगियों के खिलाफ जीसीटीओसी के तहत मामला दर्ज किया गया है। यह अधिनियम एक दिसंबर 2019 को प्रभाव में आया। 

विशेष पुलिस आयुक्त अजय तोमर ने कहा कि गोस्वामी और उसके दो सहयोगी अजय और रिंकू वर्तमान में अहमदाबाद केंद्रीय जेल में बंद हैं और गिरोह के चार अन्य सदस्यों को बुधवार को गिरफ्तार किया गया। उन्होंने कहा कि जेल में तस्करी कर लाए गए मोबाइल फोन के जरिए रंगदारी वसूली के रैकट के संचालन को आरोपियों ने एक'संगठित अपराध गिरोह' बनाया। तोमर ने कहा, “एक गोपनीय सूचना के आधार पर शहर की अपराध शाखा ने गोस्वामी के लिए काम करने वाले चार अपराधियों को गिरफ्तार किया।” 

जेल में बंद तीनों आरोपियों ने बाहर के चार अन्य लोगों के साथ मिलकर साजिश रची और मोबाइल फोन के जरिये व्यवसायियों को निशाना बनाया। वे व्हाट्सएप कॉल और संदेशों के माध्यम से व्यवसायियों को धमकी देते थे। पुलिस ने जेल में बंद अभियुक्तों के पास से तीन मोबाइल फोन, दो सिम कार्ड, फोन नंबरों वाली एक नोटबुक और सिम कार्ड डालने के लिए एक पिन बरामद किया है। उन्होंने कहा कि अन्य चारों के पास से 20 मोबाइल फोन, 50,000 रुपये नकद, एक पिस्तौल, 40 कारतूस, एक मोटरसाइकिल और एक कार जब्त की गई। 

जेल में बंद अभियुक्त 2012 के एक मामले में अहमदाबाद केंद्रीय जेल में सात साल की सजा काट रहे हैं। तोमर ने कहा कि गोस्वामी और उसके गिरोह के खिलाफ गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में 50 से अधिक मामले दर्ज हैं। तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में इस विधेयक को पहले गुजरात कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम (गुजकोक) विधेयक के नाम से लाया गया था, लेकिन 2004 से तीन प्रयास किए जाने पर भी इसे राष्ट्रपति से मंजूरी नहीं मिल सकी थी। 
 

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