कोविड वैक्सीन लगवाने के बाद 95 प्रतिशत स्वास्थ्य कर्मियों को मिला सुरक्षाकवच: अपोलो अस्पताल

Edited By Hitesh,Updated: 16 Jun, 2021 07:21 PM

apollo hospitals revealed some important things

निजी अस्पताल समूह द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों में टीका लगवाने वाले अपने 31 हजार स्वास्थ्य कर्मियों पर किए गए अध्ययन के मुताबिक 95 कर्मचारियों को कोविड-19 बीमारी से प्रतिरक्षण कवच मिला। यह दावा अस्पताल के अधिकारियों ने बुधवार को किया। अस्पताल के...

नेशनल डेस्क: निजी अस्पताल समूह द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों में टीका लगवाने वाले अपने 31 हजार स्वास्थ्य कर्मियों पर किए गए अध्ययन के मुताबिक 95 प्रतिशत कर्मचारियों को कोविड-19 बीमारी से प्रतिरक्षण कवच मिला। यह दावा अस्पताल के अधिकारियों ने बुधवार को किया। अस्पताल के प्रवक्ता ने बताया कि यह अध्ययन अपोलो के अस्पतालों ने 16 जनवरी से 30 मई के बीच उन 31,621 स्वास्थ्य कर्मियों पर किया गया जिन्होंने कोविशील्ड या कोवैक्सीन की एक या दोनों खुराक ले ली थी। यह अध्ययन करीब साढे़ चार महीने तक चला।

उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर अप्रैल और मई महीने में चरम पर थी और इस दौरान कई ऐसे डॉक्टरों की भी मौत हुई। इस दौराने ऐसे चिकित्सक भी संक्रमित हुए जिन्होंने टीके की दोनों खुराक ली थीं। देश में सरकार द्वारा स्वास्थ्यकर्मियों के लिए सबसे पहले टीकाकरण 16 जनवरी को शुरू किया गया था। अपोलो अस्पताल समूह ने एक बयान में बताया, ‘‘देश के 24 शहरों स्थित उसके 43 अस्पतालों में कार्यरत स्वास्थ्य कर्मियों पर यह अध्ययन ‘‘टीकाकरण के बाद संक्रमण' की घटनाओं का आकलन करने के लिए किया गया।''

अपोलो अस्पताल समूह के प्रबंधन निदेशक और वरिष्ठ बाल गैस्ट्रोइंट्रोलॉजिस्ट डॉ.अनुपम सिब्बल ने कहा, ‘‘अध्ययन के नतीजे संकेत करते हैं कि कोविड-19 टीके ने 95 प्रतिशत से अधिक कर्मचारियों की संक्रमण से रक्षा की और टीकाकरण करा चुके स्वास्थ्य कर्मियों में टीकाकरण के बाद संक्रमण के मामले केवल 4.28 प्रतिशत (कुल 31,621 कर्मचारियों में केवल 1355) रहे।'' उन्होंने दावा किया, ‘‘अध्ययन में पता चला कि संक्रमितों में से भी केवल 90 स्वास्थ्य कर्मियों को या कुल कर्मचारियों का महज 0.28 प्रतिशत को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ी। इनमें से भी केवल तीन स्वास्थ्य कर्मियों को यानी 0.009 प्रतिशत को आईसीयू में भर्ती करने की जरूरत पड़ी।''

अस्पताल ने डॉ.सिब्बल को उद्धृत करते हुए कहा कि अध्ययन का सबसे अहम नतीजा यह रहा कि ‘टीकाकरण के बाद कोविड-19 से कोई मौत नहीं हुई। अध्ययन में शामिल स्वास्थ्य कर्मियों में से 28,918 (91.45 प्रतिशत) को कोविशील्ड की खुराक दी गई थी, जबकि 2703 स्वास्थ्य कर्मचारियों (कुल कर्मचारियों का 8.55 प्रतिशत) ने कोवैक्सीन ली थी। इनमें से 25,907 (या 81.9 प्रतिशत) ने टीके की दोनों खुराक ले ली थी, जबकि 5,714 स्वास्थ्य कर्मियों (करीब 18.1 प्रतिशत)ने टीके की केवल पहली खुराक ली थी।

शोधपत्र के लेखकों में शामिल डॉ.राजू वैश्य के मुताबिक कोविशील्ड लेने वाले 4.32 प्रतिशत कर्मचारियों में टीकाकरण के उपरांत भी संक्रमण का मामला आया जबकि कोवैक्सीन लेने के बावजूद 3.85 प्रतिशत स्वास्थ्य कर्मी कोविड-19 की चपेट में आए। अस्पताल के प्रवक्ता ने बताया कि अध्ययन में शामिल होने वाले स्वास्थ्य कर्मियों में डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ के साथ-साथ सहायता एवं प्रशासनिक कर्मी भी शामिल थे। अब इस अध्ययन को प्रतिष्ठित समीक्षा करने वाले चिकित्सा जर्नल में प्रकाशित कराने पर विचार किया जा रहा है।

सिब्बल ने बताया, ‘‘ टीके की दोनों खुराक ले चुके 1061 कर्मचारी यानी 4.09 प्रतिशत कोरोना वायरस से संक्रमित हुए जबकि आंशिक रूप से टीकाकरण कराने वाले 294 कर्मचारी यानी 5.14 प्रतिशत कोविड-19 की चपेट में आए।'' वरिष्ठ अस्थिरोग विशेषज्ञ और गुठनों के सर्जन डॉ.वैश्य ने कहा, ‘‘जिन 90 मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ी उनमें 48 पुरुष और 42 महिला स्वास्थ्य कर्मी थीं। इनमें से अधिकतर या 83 की उम्र 50 साल साल से कम थी। वहीं, जिन तीन स्वास्थ्य कर्मियों को आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा, उनमें दो पुरुष और एक महिला थी और उनकी उम्र 25 से 39 साल के बीच थी।

इन तीन मरीजों में से दो को टीके की दोनों खुराक लग चुकी थी जबकि एक का आशंकि टीकाकरण हुआ था। अध्ययन की विस्तृत जानकारी देते हुए अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘अधिकर संक्रमण के मामले दूसरी खुराक लगने के दो सप्ताह के बाद और औसतन छह सप्ताह में आए। 43.6 प्रतिशत संक्रमित स्वास्थ्य कर्मियों की उम्र 30 साल से कम थी जबकि 35.42 प्रतिशत संक्रमित 31 से 40 साल के थे।

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