Edited By Seema Sharma,Updated: 06 Jul, 2018 12:05 PM
पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की मौत का मामला एक बार फिर विवादों में है। अपोलो अस्पताल की एक टेक्निशियन ने जयललिता के कार्डिएक अरेस्ट का जो समय बताया है, वह अस्पताल की जानकारी से अलग है। जयललिता की मौत की जांच कर रहे जस्टिस ए. अरुमुगासामी आयोग के सामने...
नई दिल्ली: पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की मौत का मामला एक बार फिर विवादों में है। अपोलो अस्पताल की एक टेक्निशियन ने जयललिता के कार्डिएक अरेस्ट का जो समय बताया है, वह अस्पताल की जानकारी से अलग है। जयललिता की मौत की जांच कर रहे जस्टिस ए. अरुमुगासामी आयोग के सामने टेक्निशियन नलिनी ने बताया कि पूर्व सीएम का इकोकार्डियोग्राम टेस्ट 4 दिसंबर, 2016 को दोपहर 3.50 बजे किया गया था। इस बयान के मुताबिक जयललिता को इससे पहले कार्डिएक अरेस्ट आया होगा और उनकी तबीयत बिगड़ी होगी। जबकि अस्पताल के स्वास्थ्य रिकॉर्ड के मुताबिक जयललिता को 4 दिसंबर, 2016 को शाम 4.20 बजे कार्डिएक अरेस्ट आया था।
पूर्व मुख्यमंत्री की दोस्त वीके शशिकला ने भी आयोग के सामने अस्पताल वाला ही समय बताया था। टेक्निशियन के मुताबिक वह जब अपने ऑपरेट्स के साथ जयललिता के कमरे में पहुंची तो वहां पहले से ही मौजूद डॉक्टर जयललिता को बचाने के लिए हॉर्ट मसाज दे रहे थे। उन्होंने कहा कि इमरजेंसी कॉल के कारण हम सिर्फ ईसीजी की लीड और मॉनिटर लेकर दौड़ पड़े थे। नलिनी ने कहा कि मुझे याद है कि मॉनिटर पर ईसीजी जांच का समय 3.50 था।
ऐसे में अस्पताल और नलिनी के बयान के बाद फिर से सवाल खड़े हो गए हैं क्योंकि डॉक्टरों के मुताबिक कार्डिएक अरेस्ट के बाद जयललिता का सर्जिकल रिससिटैशन और एक्स्ट्राकॉरपोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सिजेनेशन (ECMO) किया गया जिसके बाद वे 5 दिसंबर, 2016 तक जिंदा रहीं। उल्लेखनीय है कि जयललिता की मौत शुरू से ही विवादों में हैं। उनकी मौत की जांच के लिए आयोग गठित किया गया जो अस्पताल के सभी स्टॉफ से इस बारे में जानकारी जुटा रहे हैं।