राज्यसभा में सरकार के अल्पमत का फिर फायदा उठाया कांग्रेस ने

Edited By ,Updated: 10 Mar, 2016 06:43 PM

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संसद के उच्च सदन राज्यसभा में सरकार के अल्पमत का फायदा उठाते हुए और पीएम की अपील को दरकिनार करते हुए विपक्ष ने

संसद के उच्च सदन राज्यसभा में सरकार के अल्पमत का फायदा उठाते हुए और पीएम की अपील को दरकिनार करते हुए विपक्ष ने राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर अपना संशोधन वापिस नहीं लिया। यह दूसरा मौका है जब विपक्ष संशोधन प्रस्ताव पारित करवाने में कामयाब हुआ है। धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान कांग्रेस और उसके दलों द्वारा चुनाव लडने के लिए योग्यता संबंधी संशोधन को पारित करवाया गया है।

गौरतलब है कि हाल में हरियाणा सरकार ने स्थानीय निकाय के चुनाव में उम्मीदवार के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता तय करने का मसला उठाया था। मामला कोर्ट में पहुंच गया जिसमें प्रदेश सरकार को सफलता मिली। इसी व्यवस्था को राजस्थान सरकार ने भी अपने प्रदेश में लागू किया है। उस समय विपक्षी दलों ने हरियाणा सरकार की काफी आलोचना की थी कि चुनाव लडने के अधिकार में बेवजह हस्तक्षेप करके सबको इससे वंचित किया जा रहा है। अब अन्य दलों के साथ कांग्रेस यह पारित करने में सफल हो गई कि इन चुनावों के लिए शैक्षिक योग्यता जरूरी नहीं है। 

विपक्ष खासकर कांग्रेस के इस कदम के बाद मोदी सरकार की समस्या समाप्त नहीं हो जाती। जीएसटी जैसे अहम ​विधेयक पारित होना बाकी हैं। इसके लिए भी प्रधानमंत्री मोदी कई बार सहयोग की अपील कर चुके हैं। आशंका है कि विपक्ष सदन में बहुमत का फायदा उठाकर इन्हें भी पारित होने में बाधा उत्पन्न न कर दे। क्या वजह है कि मोदी सरकार की स्थिति राज्यसभा में कमजोर क्यों है।

दरअसल,राज्यसभा में वह अल्पमत में है। ढाई सौ सीटों वाली राज्यसभा में 238 सदस्यों का निर्वाचन होता है और 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जाते हैं। इस समय राज्यसभा में कांग्रेस 66 सदस्यों के साथ पहले स्थान पर है। भाजपा के पास 48 सदस्य हैं। वह दूसरे स्थान पर है। समाजवादी पार्टी 15 सदस्यों के साथ तीसरे नम्बर की पार्टी है। इसके अलावा एडीएमके, टीएमसी, जदयू  के पास 12-12 सदस्य हैं।

सदन में अन्य छोटे दलों के सहारे रणनीति बनाने का प्रयास किया जाता है। राजग सहयोगी दलों के शिवसेना, अकाली दल, तेलगू देशम, आरपीआई है, जबकि यूपीए में कांग्रेस के साथ राकांपा, डीएमके,केरल कांग्रेस और अन्य दल हैं। 

सदस्य संख्या कम होने के कारण सरकार के प्रबंधक एक-दो सांसदों वाले इन छोटे दलों को साधने का प्रयास करते हैं। बोडो लैण्ड पीपुल्स फ्रंट, मिजो नेशनल फ्रंट, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट, नागालैण्ड पीपुल्स फ्रंट, लोजपा और झारखंड मुक्ति मोर्चा जैसे छोटे दलों के साथ-साथ सरकार के लिए सात निर्दलीय सांसद भी बेहद महत्वपूर्ण हो जाते हैं। 

एक सांसद वाले दलों के सांसदों की कुल संख्या आठ है। इनमें सभी सरकार की तरफ आएं,यह निश्चित नहीं होता। प्रबंधकों की कोशिश हमेशा की तरह अधिकतम छोटे दलों को अपने साथ खड़ा रखने की होती है। ठीक यही कवायद निर्दलीय सांसदों में चार-पांच सांसदों का समर्थन हासिल करने के लिए की जाती है। 

मोदी सरकार को कुछ दिनों के बाद राहत मिल सकती है। राज्य सभा में छह राज्यों की 13 सीटें खाली हो रही हैं। अप्रैल के पहले पखवाडे में ये सीटें खाली हो जाएंगी जबकि इनके लिए सदस्यों का चुनाव 21 मार्च को होना है। इनके अलावा सात सदस्यों को मनोनीत भी किया जाना है। मनोनीत किए गए सदस्य मोदी सरकार की ताकत बढाएंगे।

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