Edited By vasudha,Updated: 14 Jul, 2020 04:04 PM
राजनीति में कुछ भी संभव है, कब दोस्त दुश्मन बन जाए और कब दुश्मन दोस्त बन जाए कहा नहीं जा सकता। अब राजस्थान का हाल ही देख लो दो दिग्गज नेताओं के बीच की खींचा तानी कांग्रेस को किस मोड़ पर ले आई है। कयास तो यह भी लगाए जा रहे हैं कि राजस्थान के बाद...
नेशनल डेस्क: राजनीति में कुछ भी संभव है, कब दोस्त दुश्मन बन जाए और कब दुश्मन दोस्त बन जाए कहा नहीं जा सकता। अब राजस्थान का हाल ही देख लो दो दिग्गज नेताओं के बीच की खींचा तानी कांग्रेस को किस मोड़ पर ले आई है। कयास तो यह भी लगाए जा रहे हैं कि राजस्थान के बाद महाराष्ट्र में भी कुछ ऐसी ही तस्वीर देखने को मिल सकती है।
खबरों की मानें तो महाराष्ट्र सरकार को शरद पवार रिमोट से चलाने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे काफी नाराज हैं। इसी नाराजगी का फायदा उठा सकती है भाजपा। सूत्रों के अनुसार भाजपा ज्योतिरादित्य सिंधिया के माध्यम से महाराष्ट्र में भी कांग्रेस के नाराज विधायकों को अपने पाले में कर बड़ा उलटफेर कर सकती है।
हालांकि पवार ने यह साफ कर दिया है 'ऑपरेशन कमल' महाराष्ट्र में काम नहीं करेगा, ठाकरे सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी। पवार चाहे कुछ भी कहें लेकिन इतना साफ है कि महाराष्ट्र सरकार को आने वाले संकट का अहसास हो गया है और तभी उद्धव ठाकरे सरकार साथी दलों को एकजुट करने में लग गई है। इसी कड़ी में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात की है।
वहीं केंद्र में मोदी सरकार के साथी केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले द्वारा शरद पवार को एनडीए में आने का आमंत्रण देना ऑपरेशन कमल की तरफ इशारा कर रहा है। आठवले ने शरद पवार से अनुरोध किया कि वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल हों और महाराष्ट्र में उनकी पार्टी और भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाएं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और शिवसेना के साथ राकांपा का गठबंधन उसके लिये फायदेमंद नहीं है। राकांपा के शिवसेना को समर्थन देने के फैसले से उसको कोई फायदा नहीं होने वाला।