मुठभेड़ के दौरान पत्थबाजों से निपटने के लिए सेना की रणनीति तैयार

Edited By ,Updated: 21 Feb, 2017 05:40 PM

army  s strict plan against stone pelters in kashmir

कश्मीर में आतंकवादी लगातार अपने तरीकों और योजनाओं में बदलाव ला रहे हैं।

श्रीनगर : कश्मीर में आतंकवादी लगातार अपने तरीकों और योजनाओं में बदलाव ला रहे हैं। आबादी वाले इलाकों में छुपना और सेना व सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ की स्थिति में स्थानीय आबादी के एक हिस्से द्वारा पत्थर फिंकवा कर सेना का ध्यान बांटने का तरीका आतंकियों की नई रणनीति का हिस्सा है। स्थानीय आबादी के शामिल हो जाने के कारण सेना के सामने दोहरी चुनौती पैदा हो जाती है। उसे एक ही साथ आतंकियों और लोगों के साथ निपटना पड़ता है। सेना ने ऐसे हालात से निपटने के लिए एक स्मार्ट रणनीति तैयार की है।


इस रणनीति की जानकारी सेना, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों, जम्मू-कश्मीर सरकार और प्रदेश पुलिस के पास भेज दी गई है।
आतंकवादियों के लिए ढाल बन रहे लोगों के इन नए तरीकों से आतंकवादियों को काफी सहूलियत मिल रही है। जंगलों या फिर सूनसान इलाकों में एकाएक सुरक्षा बलों के सामने पड़ जाने की चुनौती से भी वह बच रहे हैं। ऐसी बात नहीं है कि पहले की स्थितियां सेना के लिए आसान रही हों, लेकिन इतना जरूर है कि अब खतरा बढ़ गया है। इन बदली हुई परिस्थितियों के कारण आतंकियों का घेराव कर उन्हें भागने से रोकना या फिर आतंकी कार्रवाई को विफल करना सेना के लिए ज्यादा मुश्किल और खतरनाक हो गया है।


ज्यादातर मामलों में अब आतंकवादी आबादी वाले इलाकों में छुप जाते हैं। ऐसे में उनके साथ मुठभेड़ सेना के लिए बहुत मुश्किल साबित हो रहा है। सेना और सुरक्षा बलों के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह होती है कि उन्हें आम लोगों को इस पूरी कार्रवाई से अलग रखना होता है। किसी भी आम नागरिक को गोली ना लगे, इसका ध्यान रखते हुए जवानों को बेहद संभलकर गोली चलानी पड़ती है। दूसरी तरफ  आतंकवादी लोगों के घरों में छुपकर आम नागरिकों को अपनी ढाल बनाते हैं। इस रणनीति के तहत आतंकियों के लिए जवानों पर घात लगाना ज्यादा आसान होता है। यही कारण है कि पिछले कुछ समय में हुए मुठभेड़ों के दौरान कई जवान हताहत हुए हैं।

 


इन सब मुश्किलों के बीच आम लोगों द्वारा मुठभेड़ के बीच में सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंकने की घटनाओं से जवानों की परेशानियां बढ़ जाती है। इससे आतंकियों को बहुत फायदा होता है। इन पत्थर फेंकने वालों से निपटने के लिए अब सेना ने नई रणनीति तैयार की है। हंदवाड़ा मुठभेड़ में 4 जवानों की शहादत के बाद सेना को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ा। 15 फरवरी को एक उच्च.स्तरीय समीक्षा समिति ने एक बैठक की। इसमें पत्थर फेंकने वालों के लिए 4.चरणों की एक विशेष रणनीति तैयार की गई है। इन नए नियमों की जानकारी सेनाए केंद्रीय अर्धसैनिक बलोंए जम्मू.कश्मीर सरकार और प्रदेश पुलिस के पास भेज दी गई है।


एक बख्तरबंद गाड़ी के अंदर साझा कंट्रोल रूम बनाया जाएगा। इसे मुठभेड़ की जगह पर तैनात किया जाएगा। कंट्रोल रूम यह सुनिश्चित करेगा कि मुठभेड़ से जुड़े जवानों और सुरक्षा बलों के बीच बेहतर सामंजस्य हो। इसके बाद डेप्युटी कमिश्नरों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उस जगह पर आम लोग जमा न हो पाएं। आतंकियों की मदद करने वालों की पुलिस पहचान करेगी और पत्थर फेंकने वालों की भी सूची बनाई जाएगी। पुलिस इन सभी के खिलाफ  कानूनी कार्रवाई करेगी।


 एक सूत्र ने बताया कि इससे पहले ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों पर पत्थर फेंकने की घटनाएं हुआ करती थीं। पिछले साल से यह चलन बदल गया। बुरहान वानी की मौत के बाद से लोग मुठभेड़ की जगह सुरक्षा बलों द्वारा बनाए गए घेरे को तोडऩे की कोशिश करते हैं और आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शामिल जवानों पर हमला करते हैं। जवानों का ध्यान बंटने के कारण आतंकियों को हमला करने और भागने का मौका मिल जाता है।


सूत्र ने बताया कि पिछले एक साल में पत्थर फेंकने वालों की मदद के कारण करीब 25 आतंकवादी मुठभेड़ की जगह से फरार होने में कामयाब हुए हैं।

 

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