सेना प्रमुख ने संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट को किया खारिज

Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Jun, 2018 05:37 PM

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थलसेना प्रमुख जनरल विपिन रावत ने कश्मीर में मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन संबंधी संयुक्त राष्ट्र की हालिया रिपोर्ट को बुधवार को ‘प्रेरित’ बताते हुए उसे खारिज कर दिया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मानवाधिकार के संबंध में भारतीय सेना का रिकॉर्ड पूरी तरह...

नई दिल्ली : थलसेना प्रमुख जनरल विपिन रावत ने कश्मीर में मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन संबंधी संयुक्त राष्ट्र की हालिया रिपोर्ट को बुधवार को ‘प्रेरित’ बताते हुए उसे खारिज कर दिया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मानवाधिकार के संबंध में भारतीय सेना का रिकॉर्ड पूरी तरह से स्पष्ट है। जनरल रावत ने साइबर सुरक्षा पर कहा , ‘मुझे भारतीय सेना के मानवाधिकार रिकॉर्ड के बारे में बोलने की आवश्यकता नहीं है। आप सभी इससे भली - भांति वाकिफ हैं , कश्मीर के लोग और अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी इसे बेहतर ढंग से जानता है।’

उन्होंने कहा , ‘भारतीय सेना का मानवाधिकार रिकार्ड पूरी तरह से स्पष्ट है।’ इस महीने के शुरू में जारी एक रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) ने कश्मीर और पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन की बात करते हुए इसकी अंतरराष्ट्रीय जांच कराने की बात कही थी। जनरल रावत ने कहा , ‘मुझे नहीं लगता कि हमें इस रिपोर्ट को लेकर ज्यादा ङ्क्षचता करनी चाहिए। इनमें से कुछ रिपोर्ट प्रेरित हैं। ’ इससे पहले विदेश मंत्रालय ने रिपोर्ट को खारिज करते हुए इसे ‘गलत , विवादास्पद और प्रेरित’ बताया था।

विदेश मंत्रालय ने कहा था कि रिपोर्ट ‘अतिपूर्वाग्रही’ है और वह ‘गलत छवि’ पेश करना चाहता है। इस बीच, साइबर सुरक्षा कार्यक्रम में बुधवार को थलसेना प्रमुख ने रक्षा बलों के फायदे के लिए साइबर स्पेस के उपयोग पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘हमें प्रतिद्वंद्वियों के तंत्र को नाकाम करने के लिए विशिष्ट क्षमताएं विकसित करनी होंगी।’ उन्होंने कहा कि लगभग सभी प्रणालियों में, चाहे वह सशस्त्र बलों में इस्तेमाल किए जाने वाले हथियार, उपकरण, गोला बारूद हो, किसी तरह की तकनीक का उपयोग किया ही जाता है जो साइबर स्पेस का फायदा उठाते हैं। इससे उन पर प्रतिद्वंद्वियों के हमलों की आशंका बन जाती है।

उन्होंने जोर दिया कि साइबर स्पेस न केवल पारंपरिक युद्ध में महत्वपूर्ण है, बल्कि छद्म युद्ध में भी यह उतना ही प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि आज, सीमा पार से हमारे खिलाफ सक्रिय आतंकवादी तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। वे अपने लाभ के लिए साइबर स्पेस का उपयोग कर रहे हैं। अगर हम उनसे आगे नहीं रहते हैं, तो हम कभी भी आतंकवाद की समस्या पर काबू नहीं पा सकेंगे। उन्होंने इसका उदाहरण भी उद्धृत किया कि किस प्रकार चीन साइबर युद्ध में अपनी क्षमताओं को बढ़ा रहा है।

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