Edited By Seema Sharma,Updated: 04 Nov, 2020 03:42 PM
सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे बुधवार को अपनी तीन दिवसीय यात्रा पर नेपाल पहुंच गए हैं। सेना प्रमुख नरवणे की नेपाल यात्रा काफी अहम मानी जा रही है क्योंकि उनकी यात्रा दोनों देशों की सेनाओं के बीच मित्रता के लंबे समय से जारी संबंधों को गहरा करेगी तथा...
नेशनल डेस्क: सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे बुधवार को अपनी तीन दिवसीय यात्रा पर नेपाल पहुंच गए हैं। सेना प्रमुख नरवणे की नेपाल यात्रा काफी अहम मानी जा रही है क्योंकि उनकी यात्रा दोनों देशों की सेनाओं के बीच मित्रता के लंबे समय से जारी संबंधों को गहरा करेगी तथा दोनों पक्षों को आपसी लाभ के लिए द्विपक्षीय रक्षा साझेदारी को और मजबूत करने के रास्ते तलाशने का अवसर देगी। नरवणे की यात्रा का प्रमुख उद्देश्य दोनों देशों के बीच सीमा विवाद से उपजे तनाव की पृष्ठभूमि में संबंधों में पुन: सामंजस्य स्थापित करना है। भारतीय दूतावास के प्रवक्ता नवीन कुमार ने कहा कि जनरल नरवणे की यात्रा दोनों देशों की सेनाओं के बीच मित्रता के लंबे समय से जारी और परंपरागत बंधन को और गहरा करेगी।
नरवणे एक चल अस्पताल के लिए एक एम्बुलेंस और चिकित्सा उपकरण भेंट करेंगे, अस्पताल का संचालन नेपाली सेना करेगी। नेपाल की सेना के सूत्रों ने बताया कि भारतीय सेना प्रमुख गुरुवार सुबह सेना के पवेलियन में शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि देंगे। अधिकारियों ने कहा कि सेना प्रमुख का इस यात्रा के दौरान नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से मुलाकात करने के अलावा कई अन्य असैन्य एवं सैन्य नेताओं के साथ बातचीत करने का कार्यक्रम है। जनरल नरवणे ने कहा कि मैं नेपाल की यात्रा करने और अपने समकक्ष नेपाल के सेना प्रमुख जनरल पूर्ण चंद्र थापा से मुलाकात के लिए उनकी ओर से मिले निमंत्रण को लेकर उत्साहित हूं। मुझे विश्वास है कि यह यात्रा दोनों देशों की सेनाओं के बीच मित्रता के बंधन को और मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
सेना प्रमुख ने कहा कि वह प्रधानमंत्री ओली से मुलाकात के अवसर के लिए भी आभारी हैं। भारत द्वारा सेना प्रमुख को नेपाल भेजने के फैसले को नई दिल्ली द्वारा म्यामार, मालदीव, बांग्लादेश, श्रीलंका, भूटान और अफगानिस्तान के साथ संबंधों में नई ऊर्जा भरने की व्यापक कवायद का हिस्सा माना जा रहा है। चीन द्वारा क्षेत्र में अपना प्रभुत्व बढ़ाने के प्रयासों के मद्देनजर ऐसा किया जा रहा है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह द्वारा 8 मई को उत्तराखंड के धारचूला से लिपुलेख दर्रे को जोड़ने वाली 80 किलोमीटर लंबी रणनीतिक सड़क का उद्घाटन करने के बाद नेपाल ने विरोध जताया था, तब से दोनों देशों के संबंधों में तनाव आ गया था।