Edited By Tanuja,Updated: 22 Sep, 2020 02:05 PM
सीमा पर विवाद के चलते सोमवार को भारत की चीन के साथ वरिष्ठ सैन्य कमांडर स्तर की छठे दौर की वार्ता 14 घंटे तक चली । इस दौरान
इंटरनेशनल डेस्कः सीमा पर विवाद के चलते सोमवार को भारत की चीन के साथ वरिष्ठ सैन्य कमांडर स्तर की छठे दौर की वार्ता 14 घंटे तक चली । इस दौरान पहली बार भारत के भारतीय विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव भी मौजूद रहे । बैठक में भारत ने पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले स्थानों से चीनी सैनिकों को जल्द हटाए जाने पर जोर दिया गया। वार्ता सीमा पर लंबे समय से जारी टकराव को दूर करने के लिए पांच सूत्री द्विपक्षीय समझौते के क्रियान्वयन पर केंद्रित रही।
पूर्वी लद्दाख में भारत के चुशूल सेक्टर में एलएसी के पार मोल्डो में बैठक सुबह करीब 9 बजे शुरू हुई और रात 11 बजे तक जारी रही। इससे पहले दोनों देशों के बीच पांचवें दौर की कोर कमांडर स्तर की वार्ता दो अगस्त को करीब 11 घंटे चली थी। उससे पहले चौथा दौरान 14 जुलाई को करीब 15 घंटे चली थी। बैठक के दौरान भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 10 सितंबर को मास्को में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के इतर विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच हुए समझौते को निश्चित समय-सीमा में लागू करने पर जोर दिया।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भारतीय सेना की लेह स्थित 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने किया। ऐसा पहली बार हुआ है कि सैन्य वार्ता से संबंधित भारतीय प्रतिनिधिमंडल में विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी शामिल हुए। विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं। वह सीमा विषयक परामर्श और समन्वय कार्य प्रणाली के तहत चीन के साथ सीमा विवाद पर राजनयिक वार्ता में शामिल रहे हैं।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल में लेफ्टिनेंट जनरल पी जी के मेनन भी शामिल हैं, जो अगले महीने 14 वीं कोर कमांडर के तौर पर सिंह का स्थान ले सकते हैं। भारतीय दल ने साढे चार महीने से जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा सैनिकों को जल्द हटाने पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि वार्ता का एजेंडा पांच सूत्री समझौते के क्रियान्वयन की स्पष्ट समयसीमा तय करना था।
पांच सूत्री समझौते का लक्ष्य
- समझौते को निश्चित समय-सीमा में लागू करना।
- तनावपूर्ण गतिरोध को खत्म करना है जिसके तहत सैनिकों को शीघ्र वापस बुलाना।
- तनाव बढ़ाने वाली कार्रवाइयों से बचना।
- सीमा प्रबंधन पर सभी समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन करना।
- वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति बहाली के लिए कदम उठाना जैसे उपाय शामिल हैं।