‘आधी दिल्ली’ का भला करना भूल गए मोदी!

Edited By ,Updated: 09 Jan, 2015 02:45 AM

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केन्द्र में चल रही मोदी सरकार ने 26 दिसम्बर, 2014 को एक्ट में संशोधन करके 1 जून, 2014 तक हुए अवैध निर्माणों को राहत दी थी।

नई दिल्ली : केन्द्र में चल रही मोदी सरकार ने 26 दिसम्बर, 2014 को एक्ट में संशोधन करके 1 जून, 2014 तक हुए अवैध निर्माणों को राहत दी थी। समझा जा रहा था कि यह राहत पूरी दिल्ली के अवैध निर्माणों को दी गई है, जैसा कि मूल एक्ट में 7 फरवरी, 2007 तक के अवैध निर्माणों के लिए प्रावधान था। लेकिन, संशोधित एक्ट जब सामने आया तो पता चला कि उसमें बहुत बड़े इलाके को या यूं कहें आधी दिल्ली में हुए अवैध निर्माणों को शामिल नहीं किया गया है। अब इस संशोधित एक्ट को लेकर विपक्षी दल भाजपा पर हमला बोलने की तैयारी में जुट गए हैं।

बता दें कि केन्द्र ने ‘दी नेशनल कैपिटल टैरेटरी ऑफ दिल्ली लॉज (स्पैशल प्रोवीजंस) सैकेंड एक्ट 2011’ में संशोधन करते हुए ‘दी नैशनल कैपिटल टैरेटरी ऑफ दिल्ली लॉस (स्पैशल प्रोवीजंस) सैकेंड एमैंडमैंट एक्ट 2014’ बनाया है। 
 
इसके तहत ही 1 जून, 2014 तक हुए निर्माणों को पक्का करने का डंका भाजपा ने पीटा था। एक्ट संशोधन के दौरान धारा 3 की उपधारा 2 के खंड 2 में अवैध कॉलोनियों, शहरी गांवों सहित ग्रामीण आबादी और उसके विस्तार, जो 31 मार्च, 2002 तक अस्तित्व में थे, उनमें  8 फरवरी, 2007 तक हुए निर्माणों को पक्का करने की जगह 1 जून, 2014 की तारीख अंकित की गई है। मतलब ऊपर लिखे क्षेत्र जो मार्च, 2002 तक वजूद में थे उनमें अब 1 जून, 2014 तक हुए निर्माण पक्के किए जाएंगे। लेकिन, इस उपधारा के खंड 3 व 4, जो मूल एक्ट में हैं, उनको संशोधन में शामिल नहीं किया गया। खंड 4 को शामिल नहीं किए जाने को लेकर खासतौर यह बात उठ रही है कि नियमितीकरण की प्रक्रिया में आधी दिल्ली को छोड़ दिया गया।

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