Edited By ,Updated: 21 Feb, 2015 04:59 PM
भारत की फिजाओं में लगातार वायु प्रदूषण का जहर फैलता जा रहा है। जो हमारी जिंदगी क ा बेसकीमती 3 साल कम कर रहा है।
नई दिल्ली: भारत की फिजाओं में लगातार वायु प्रदूषण का जहर फैलता जा रहा है। जो हमारी जिंदगी का बेसकीमती 3 साल कम कर रहा है। एक नए अध्ययन से पता चला है कि वायु की गुणवत्ता राष्ट्रीय सुरक्षा मापदंड के अनुसार हो तो 66 करोड़ लोगों की जिंदगी 3.2 साल अधिक बढ़ सकती है। यह संख्या देश की करीब आधी आबादी के बराबर है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो देश में 2.1 अरब जीवन वर्ष बचाए जा सकेंगे।
शिकागो के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर मिशेल ग्रीनस्टोन ने प्रमुख अर्थशास्त्रियों और येल व हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के सार्वजनिक नीति विशेषज्ञों के साथ मिलकर एक अध्ययन किया। इसमें भारत के विभिन्न हिस्सों में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और सैटेलाइट डाटा के जरिए वायु की गुणवत्ता के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया था।
इन विशेषज्ञों द्वारा अध्ययन के लिए भारत में हुए 2011 की जनगणना के आंकड़ों का प्रयोग किया गया। इसमें अनुमान लगाया गया कि 66 करोड़ लोग यानी देश की करीब 54.5 फीसद आबादी उस क्षेत्र में रहती है, जहां वायु प्रदूषण आधिक है। वहीं, करीब 26.2 करोड़ लोग यानी देश की करीब 21.7 फीसदीआबादी ऐसे क्षेत्रों में रहती है जहां वायु प्रदूषण तय मानक से दोगुना अधिक है।
अध्ययन में बताया गया है कि 120.4 करोड़ लोग यानी करीब 99.5 फीसद लोग उस क्षेत्र में रह रहे हैं, जहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा तय किए गए 10 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर की सीमा रेखा से 2.5 पीएम अधिक है। यह अध्ययन रिपोर्ट इस सप्ताह के 'इकानॉमिक ऐंड पॉलिटिकल वीकली' में प्रकाशित हुआ है।
एक अन्य रिपोर्ट में दिल्ली का प्रदूषण-
सेंटर फार साइंस एंड इनवायरमेंट (सीएसई) की महानिदेशक सुनीता नारायण ने दिल्ली में प्रदूषण की पड़ताल करने वाली एक रिपोर्ट को जारी करते हुए कहा कि सर्दियों में शहर में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका था और राजधानी दूसरी बार ऐसी स्थिति झेलने की स्थिति में नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक किसी दूसरे देश में ऐसी स्थिति में कारों की संख्या में कमी की जाती, औद्योगिक संस्थान बंद हो जाते और स्कूलों में छुट्टियां कर दी जाती।
सीएसई के मुताबिक दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से शुमार किए जाने वाले दिल्ली का दम घुट रहा है और वायु प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। शहर में प्रदूषण का स्तर दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के आंकड़ों से दो से चार गुना ज्यादा है। ऑटो रिक्शा और साइकिल सवारों और पैदल चलने वालों को इसका सर्वाधिक खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भूमिगत मेट्रो में प्रदूषण का स्तर करीब 209 माइक्रोग्राम प्रति घान मीटर और एलिवेटेड खंड पर यह 330 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा। ट्रैफिक जाम की स्थिति में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है।