Edited By ,Updated: 16 Mar, 2015 05:01 PM
राहुल गांधी की कथित जासूसी मामले को लेकर मचे बवाल के बीच बताया जा रहा है कि यह एक रूटीन प्रोफाइलिंग थी। केंद्र सरकार से संबंधित सूत्रों के मुताबिक इस प्रोफाइलिंग प्रक्रिया को पूर्व की कांग्रेस सरकार ने ही शुरू किया था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस...
नई दिल्लीः राहुल गांधी की कथित जासूसी मामले को लेकर मचे बवाल के बीच बताया जा रहा है कि यह एक रूटीन प्रोफाइलिंग थी। केंद्र सरकार से संबंधित सूत्रों के मुताबिक इस प्रोफाइलिंग प्रक्रिया को पूर्व की कांग्रेस सरकार ने ही शुरू किया था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस प्रकिया में राहुल गांधी के अलावा उनकी मां सोनिया गांधी सहित 526 दूसरे नेताओं की ऐसी ही जानकारी एकत्र की गई। लेकिन कांग्रेस इस बात से सहमत नहीं है।
कांग्रेस का कहना यह है कि भाजपा सरकार जानबूझकर कांग्रेस उपाध्यक्ष की जासूसी करवा रही है। कांग्रेस नेता पीसी चाको ने कहा है कि भाजपा सरकार जिस तरह से जासूसी करवा रही है। हम उससे सहमत नहीं हैं। उस पर सरकार को जवाब देना पड़ेगा। सूत्रों के मुताबिक नेताओं के प्रोफाइलिंग की यह प्रक्रिया वर्ष 1957 में ही शुरू हुई थी।
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान सुरक्षा चिंताओं को ध्यान में रखते हुए वर्ष 1987 में इसे नया रूप दिया गया। उसी समय एक विस्तृत खाका बनाया गया, जिसमें शिक्षा, उम्र, शरीर के निशान, उनके साथियों की पहचान, पसंदीदा खेल और सुबह की सैर के लिए पसंदीदा जगह जैसी जानकारियां जोड़ी गई थी। इसके बाद साल 1999 में इसमें कुछ और बिंदुओं को जोड़़ा गया।
सूत्रों के मुताबिक साल 1998, 2004, 2009, 2010, 2011 और 2012 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की प्रोफाइलिंग की गई थी। उनके अलावा कई और नेताओं की भी समय-समय पर ऐसी ही प्रोफाइलिंग की जाती रही है, जिनमें प्रणब मुखर्जी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अटल बिहारी वाजेपयी जैसे शीर्ष के नेता भी शामिल हैं।