कंडोम निर्माता कंपनी ने मोदी सरकार को कोर्ट में घसीटा

Edited By ,Updated: 12 Apr, 2015 03:54 PM

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एक कंडोम निर्माता कंपनी ने केंद्र को दिल्ली उच्च न्यायालय में घसीटते हुए यह शंका जाहिर की है कि निविदा की प्रक्रिया में बाकियों को पछाडऩे के बावजूद उसे 10 करोड़ से ज्यादा कंडोम की आपूर्ति के अनुबंध से वंचित किया जा सकता है।

नई दिल्ली: एक कंडोम निर्माता कंपनी ने केंद्र को दिल्ली उच्च न्यायालय में घसीटते हुए यह शंका जाहिर की है कि निविदा की प्रक्रिया में बाकियों को पछाडऩे के बावजूद उसे 10 करोड़ से ज्यादा कंडोम की आपूर्ति के अनुबंध से वंचित किया जा सकता है। इस मामले में निजी कंपनी ने सरकार के पिछले साल के उस फैसले का हवाला दिया, जिसमें उसने निजी कंपनी की ‘सफल बोली’ को नजरअंदाज करते हुए एक सार्वजनिक क्षेत्र निगम (पीएसयू) को कंडोम की आपूर्ति में शामिल करने का फैसला किया था।

उच्च न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में केंद्र को निर्देश दिए कि वह राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत मान्यता प्राप्त समाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा वितरित किए जाने वाले पुरूष गर्भनिरोधकों की आपूर्ति की निविदा प्रक्रिया रद्द न करे। उसने कहा कि अंतरिम आदेश निविदा के आड़े नहीं आएगा। अदालत एमएचएल हेल्थकेयर लिमिटेड नामक निजी कंपनी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में कंपनी ने शंका जाहिर की थी कि पिछले साल की तरह केंद्र इस बार भी पूरी प्रक्रिया रद्द कर सकता है। 

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